हेल्लो दोस्तों एक पुरानी कहावत है छोटे तीर घाव करे गंभीर ! उसी तर्ज़ पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे ही पौधे के बारे में जिससे शरीर की बड़ी से बड़ी बीमारी दूर हो जाती है यूँ तो भारत में अनेक ऐसे पेड-पौधें पाए जाते हैं जिन्हें सालों से दवाइयों और औषधियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. इन्ही में से एक हैं आक जिसको हम मदार, आकड़ा, अर्क, अकद, इत्यादि नामो से भी जानते है. Aak ke faayde
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दिव्य औषिधि के रूप में आक महत्व :
चिकित्सा विज्ञान में कई सालों से इसे एक दिव्य औषिधि के रूप में पहचाना जाता है. इसके बारे में प्राचील काल से एक अनोखी बात भी बहुत प्रचलित है कि यह सूर्य के तेज़ के साथ बढ़ता है और सूर्य के तेज़ के साथ ही कम होते होते इसका प्रभाव भी कम होता जाता है. वहीं बारिश के दिनों में इस पौधे का प्रभाव बिलकुल खत्म जैसा हो जाता है. सूर्य को जितने नामों से जाना जाता है उतने ही नाम आक के भी हैं. इसकी वैसे तो 4 प्रजातियाँ हैं मगर भारत में मुख्य केवल दो प्रजातियाँ ही पायी जाती है. ये दोनों ही प्रजातियाँ अति दुर्लभ मानी गई है.

रक्तार्क :
इसके पुष्प बाहर से श्वेत रंग के छोटे कटोरीनुमा और भीतर लाल और बैंगनी रंग की चित्ती वाले होते हैं. इसमें दूध कम होता है.
श्वेतार्क :
इसका फूल लाल आक से कुछ बड़ा, हल्की पीली आभा लिये श्वेत करबीर पुष्प सदृश होता है. इसकी केशर भी बिल्कुल सफेद होती है. इसे ‘मंदार’ भी कहते हैं. यह प्रायः मन्दिरों में लगाया जाता है. इसमें दूध अधिक होता है.
शारीरिक दर्द से ऐसे निजात दिलाता हैं ये पौधा :
वैसे तो शायद ही ऐसा कोई रोग होगा जिसे आक दूर न कर सके. यह भयंकर से भयंकर रोग में भी अपना विशेष असर दिखाता है. मगर हम आज शारीरिक दर्द से छुटकारा दिलाने के लिए आक का वो प्रयोग बताएँगे जिसे अपनाकर आप पलभर में आराम पा सकते है. लेकिन कई बार हम इस पौधे का इस्तेमाल ग़लत तरीके से करते हुए कई परेशानी में पड़ जाते हैं. ऐसे में इसको इस्तेमाल करते वक्त पहले ये जान लेते हैं कि किन-किन चीज़ों की सावधानी बरतनी चाहिए:-
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इन चीज़ों की रखें सावधानी :
दोस्तों इस औषधि रूपी पौधें का प्रयोग करने से पहले आप ये ध्यान से समझ ले कि इसके दूध की बूँद आँखों में नहीं जानी चाहिए अन्यथा आँखों में अंधापन आ सकता है. साथ ही इसे छुते वक्त बेहद सावधानी बरतनी चाहिए. आइये अब जानते हैं इस औषधि के विभिन्न दर्दों में विभिन्न प्रयोग:-
इन मुख्य रोगों का अचूक इलाज है आक :
एड़ी का दर्द-
अगर किसी को एड़ी में दर्द की शिकायत हैं तो ऐसे में आक के 15 फूलों को एक कटोरी पानी में उबाल लीजिये. उबालने के बाद फूलों को और पानी को अलग अलग कर लीजिये. अभी इस पानी से जितना गर्म सह सके एड़ी को उससे अच्छे से धुलाई करें. फिर बाद में इन फूलों को अच्छे से निचुड़ जाने के बाद कोई सूती कपडे की सहायता से एड़ी पर बाँध लों. और ऊपर से जुराब और जूते पहन लें. ये प्रयोग महज 10 से 15 दिन करने पर आपको दर्द से न केवल आराम मिलेगा बल्कि आप पहले से काफी अच्छा महसूस कर पायेंगे.

घुटनों का दर्द-
अगर किसी को घुटनों में दर्द हैं तो ऐसे में उस व्यक्ति को दोपहर में आक की ताज़ी डंडी से दूध निकाल कर इसको हलके हाथ से घुटनों पर मालिश करे. मालिश तब तक करनी चाहिए जब तक ये पुरा अवशोषित न हो जाये. ऐसा रोज़ाना दिन में दो बार करने से आप 10 से 15 दिन में ही खुद फर्क महसूस कर पायेंगे.
कमर का दर्द-
अक्सर लोगों को कमर दर्द की शिकायत रहती है. ऐसे में आक के दूध को थोड़े काले तिलो के साथ कूट ले. जब यह पतला लेप सा हो जाए तो उसे गर्म कर के दर्द वाले स्थान पर लगा कर अच्छे से मालिश करे जिससे ये तेल ग़ायब हो जाए. इसके बाद आक के पत्ते पर तिल का तेल या सरसों का तेल चुपड कर तवे पर गर्म करके इसको दर्द वाले स्थान पर बाँध लें. इस से पीड़ित को शीघ्र ही लाभ होगा.
बवासीर-
बवासीर की समस्या होने पर आक के पौधों या फूलों को आग पर रखकर और उससे जो धुआं निकले उसे बवासीर की सिकाई करने से कुछ ही समय में यह रोग जड़ से खत्म हो जाता है. आक का पत्ता और डंठल को पानी में भिगो दें. इसे पीने से बवासीर की समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी.
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पुरानी खांसी-
कई बार खांसी लंबे समय तक चलती है जो हमें परेशान कर देती है. अगर आप खांसी से बहुत ज्यादा परेशान हैं और बहुत सी दवाइयों का सेवन कर चुके हैं फिर भी आप की खांसी दूर नहीं हो रही है तो आक की जड़ को महीन पीसकर उसमें थोड़ी सी काली मिर्च मिला लें. इसके बाद इसकी छोटी- छोटी गोली बना लें.
अब इनका सेवन सुबह- शाम करने से पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है. इसके अलावा आक के फूलों को सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें. इस चूर्ण को प्रतिदिन खाने से अस्थमा, फेफड़ों के रोग और शरीर की कमजोरी दूर होती है.
कांच या कांटा लग जाने पर-
कई बार गलती से कांच के टुकड़े लग जाते हैं या कांटा चुभ जाती है तो उस स्थान पर आक के दूध को लगाने से काटा या कांच अपने आप ही निकल जाता है.
नाखून के रोग-
अगर आपके नाखून में किसी तरह का संक्रमण हो गया है तो आक के पौधे की जड़ को पानी में पीसकर नाखूनों पर लगाने से इस समस्या से छुटकारा मिलती है.

शरीर पर चकत्ते पड़ना या खुजली होना-
अगर शरीर में खुजली हो रही है और लाल रंग के चकत्ते पड़ रहे हैं तो इसके लिए आक की जड़ को जलाकर राख बना लें. अब उस राख को सरसों के तेल में मिलाकर खुजली या चकतो वाले हिस्से पर लगाएं. इससे यह समस्या खत्म हो जाती है.
गंजापन-
आजकल गंजापन की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रहा है. जिन लोगों के बाल गिर गए हैं उनको आक के दूध को गंजे स्थान पर लगाने से बाल उग आते हैं. यह गंजापन दूर करने के लिए सबसे बेहतर उपाय है.
पथरी के लिए-
अगर पथरी की समस्या हो गई है तो आक के दस फूलों को पीसकर एक गिलास दूध में घोलकर प्रतिदिन सुबह 40 दिनों तक पीने से पथरी निकल जाती है.
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डायबिटीज-
प्रतिदिन सुबह आक के पत्तों को डायबिटीज की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को पैर के तलवा में लगाकर जुराब पहन लें. रात को सोने से पहले इस पत्ते को निकाल दें. इसका नियमित इस्तेमाल करने से शुगर लेवल नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
नोट- ध्यान रहे आक की दूध गलती से भी आँख में न पड़े. आँख ख़राब हो सकती है. यह पोस्ट आपकी जानकारी के लिए है ऊपर बताए गए किसी भी उपयोग को करने से पहले किसी जानकार चिकित्सक से सलाह लेकर ही इस्तेमाल करें.
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