सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार घर के मंदिर में शंख रखना बहुत ही शुभ होता है और इसके पीछे वजह यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु अपने हाथ में शंख धारण किए रहते हैं, इसलिए लोगों के द्वारा यह माना जाता है जिस घर में शंख होता है वहां भगवान विष्णु का वास होता है। Benefits Of Blowing Shankh
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शिव को छोड़कर सभी देवताओं पर शंख से जल अर्पित किया जा सकता है। शिव ने शंखचूड़ नामक दैत्य का वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है।
इसी के साथ जिस घर में भगवान विष्णु होंगे वहां माता-लक्ष्मी को स्वत: ही आने को मजबूर हो जाती है. कहते हैं कि पूजा-कथा आदि में भी शंख बजाने की परंपरा है और केवल धार्मिक पहलू ही नहीं शंख को बजाना सेहत की दृष्टि से भी बहुत अच्छा माना जाता है तो आइए जानते हैं शंख बजाने के कुछ फायदे.

अर्थवेद के अनुसार शंखेन हत्वा रक्षांसि अर्थात शंक से सभी राक्षसों का नाश होता है और यजुर्वेद के अनुसार युद्ध में शत्रुओं का ह्दय दहलाने के लिए शंख फूंकने वाला व्यक्ति अपिक्षित है। यजुर्वेद में ही यह भी कहा गया है कि यस्तु शंखध्वनिं कुर्यात्पूजाकाले विशेषतः, वियुक्तः सर्वपापेन विष्णुनां सह मोदते अर्थात पूजा के समय जो व्यक्ति शंख-ध्वनि करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भगवान विष्णु के साथ आनंद करता है।
शंख के फायदे:
# वातावरण की शुद्धि :
कहते हैं कि पूजा में रोजाना शंखनाद करने से शरीर और आसपास के वातावरण की शुद्धि होती है इसी के साथ ऐसा मानते हैं कि वातावरण शुद्ध होने से मनुष्य के शरीर का विकास भी सुदृढ रूप से होता है।
# सकारात्मक:
शंख की ध्वनि को ॐ की ध्वनि के समकक्ष माना गया है। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। और मन में भी सकारात्मक विचार आते हैं जिससे सब मंगल होता है।
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शंख से वास्तु दोष भी मिटाया जा सकता है। शंख को किसी भी दिन लाकर पूजा स्थान पर पवित्र करके रख लें और प्रतिदिन शुभ मुहूर्त में इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए तो घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम हो जाता है। शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।
# दरिद्रता रहती है दूर :
कहा जाता है कि लक्ष्मीजी को शंख अतिप्रिय होने के कारण जिस घर में शंख रखा जाता है वहां पर लक्ष्मीजी भी रुकती हैं और धन धान्य होता है साथ ही उस घर के लोगों को कभी भी पैसे की तंगी नहीं होती।
प्रथम प्रहर में पूजन करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। द्वितीय प्रहर में पूजन करने से धन- सम्पत्ति में वृद्धि होती है। तृतीय प्रहर में पूजन करने से यश व कीर्ति में वृद्धि होती है। चतुर्थ प्रहर में पूजन करने से संतान प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजन के बाद 108 बार या श्रद्धा के अनुसार मंत्र का जप करें।

# शंख की आवाज से ये चमत्कार:
शंख की आवाज से पैदा होने वाले कंपन सांस के रोग में बहुत लाभकारी माने जाते हैं शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। गोरक्षा संहिता, विश्वामित्र संहिता, पुलस्त्य संहिता आदि ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख को आयुर्वद्धक और समृद्धिदायक कहा गया है।
पेट में दर्द रहता हो, आंतों में सूजन हो अल्सर या घाव हो तो दक्षिणावर्ती शंख में रात में जल भरकर रख दिया जाए और सुबह उठकर खाली पेट उस जल को पिया जाए तो पेट के रोग जल्दी समाप्त हो जाते हैं। नेत्र रोगों में भी यह लाभदायक है। यही नहीं, कालसर्प योग में भी यह रामबाण का काम करता है।
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स्थापना विधि :
पुरातन काल से ही प्रत्येक घर में पूजा-वेदी पर शंख की स्थापना की जाती है, पवित्र शंख को दीवाली, होली, महाशिवरात्री, नवरात्रि आदि शुभ मुहूर्त में पूजा पाठ एवं विशिष्ट कर्मकांड के साथ स्थापित करना लाभदायक होता है। गणेश, भगवती, विष्णु भगवान आदि के अभिषेक के समान शंख का भी गंगाजल, दूध, घी, शहद, गुड, पंचद्रव्य आदि से करना चाहिए तथा इसके आगे धूप, दीप, नैवेद्य, से नित्य पूजन करना चाहिए और लाल रंग के आसन पर स्थापित करना चाहिए।
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