भिंडी खाने में तो स्वादिष्ट होती ही है सेहत के लिए भी उतनी ही लाभकारी है इसमें मौजूद मैग्नीशियम, विटामिन-सी, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और प्रोटीन जैसे तत्व सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बनाते हैं वैसे आपने अभी तक एक ही किस्म की देशी भिंडी देखी होगी जो कि हरी होती है लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों ने लाल रंग की भिंडी विकसित कर ली है, जो कई पौषिक तत्वों से भरपूर है तो आइये जानते हैं इसके बारे में – Benefits Of Red Lady Finger
दिल्ली के IARI (Indian Agricultural Research Institute) में इन दिनों भिंडी की पैदावार कर शोध किया जा रहा है. अलग-अलग रंग और भांति-भांति की भिंडी यहां लगाई जा रही है. लाल, बैंगनी, पीली और हरी, गाढ़ी हरी और हल्की हरी भिंडी यहां पर मुख्य तौर पर उपलब्ध है. इसके अलावा भिंडी की किस्में भी यहां काफी मात्रा में उपलब्ध है.

‘काशी लालिमा’ नाम की इस भिन्डी को विकसित करने में 8-10 वर्षों की कड़ी मेहनत भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने की है. दरअसल लाल भिंडी के विकास की इसी तरह की भिंडी से हुआ जो कभी कहीं पाई गई थी. वैज्ञानिकों ने चयन विधि का प्रयोग करके इसी लाल भिंडी की प्रजाति को और विकसित किया. इस भिंडी में आम हरी सब्जी यहां तक की भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह एंथोसाइनिन की मात्रा होती है जो इसके लाल रंग का कारक है.
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इतना ही नहीं वैज्ञानिकों की मानें तो आम भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें आयरन, कैल्शियम और जिंक की मात्रा पायी जाती है है. और इसीलिए सामान्य भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें पोषक तत्व होने के चलते ये कहीं ज्यादा स्वास्थवर्धक है. इस लाल भिन्डी को उगाना सामान्य हरी भिंडी की ही तरह आसान होता है. और इसकी लागत भी सामान्य हरी भिन्डी जितनी ही होती है इतना ही नहीं इसके लाल रंग की वजह से इसमें एंटीऑक्सिडेंट कहीं ज्यादा है. वैज्ञानिक इसे पकाकर खाने के बजाए सलाद के रूप में खाने की सलाह देते हैं. वैज्ञानिक इस भिंडी को और भी ज्यादा विकसित करने में लगे हैं.

सालों की मेहनत :
देशी भिंडी की एक इस नई किस्म को भारतीय सब्जी अनुसंधान ने विकसित किया और इसे नाम दिया गया ‘काशी लालिमा’, इसे विकसित करने में वैज्ञानिकों की कई सालों की मेहनत लगी हैं लाल रंग की भिंडी अब तक पश्चिमी देशों में ही प्रचलित रही है जिससे कई बीमारियों में फायदे मिल रहे हैं. संस्थान के निदेशक कहते हैं कि लाल और हरी भिंडी पकने के बाद स्वाद में एक जैसी ही लगती है. आगे वे बताते हैं कि इस भिंडी को बेचकर किसान काफी मुनाफा कमाएंगे. अभी वैज्ञानिक इस लाल भिंडी की पैदावार को बढ़ाने पर भी काम कर रहे हैं. एक हेक्टेयर में हरी भिंडी 190-200 क्विंटल तक पैदावार देती है तो वहीं काशी लालिमा की उपज 130-150 क्विंटल तक ही होगी.
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निदेशक बताते हैं कि उनके संस्थान के पहले छत्तीसगढ़ के कुछ जनजाति इलाकों में कुछ छात्र लाल भिंडी पैदा कर रहे हैं लेकिन सबसे पहले भारत में इसको परिष्कृत रूप में वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में उगाया गया है. इससे पहले अमेरिका के क्लीमसन विवि में भी लाल भिंडी को उगाया जा चुका है
500 रूपए प्रति किलो :
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के तकनीकी अधिकारी बताते हैं कि इस नई प्रजाति की लाल भिंडी का बीज दिसंबर तक भारतीय किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा, दावा किया जा रहा है की भिंडी की इस किस्म से किसानों की पैदावार में भी इजाफा होगा साथ ही देशी भिंडी की तुलना में 2 से 10 गुना तक अधिक मुनाफ़ा मिलेगा क्योंकि इसको लगाने के तरीके से लेकर लागत तक सब कुछ सामान्य भिंडी की तरह है. बाज़ार में इस भिंडी की विभिन्न किस्मों की कीमत 100 से 500 रूपए प्रति किलो तक है.

इन तत्वों से है भरपूर :
लाल भिंडी प्रजाति की खोज की शुरुआत साल 1995-96 में संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. बिजेंद्र की अगुवाई में की गई थी लेकिन 23 साल के बाद इस भिंडी को विकसित करने में सफलता हासिल हुई बैगनी-लाल रंग की इस भिंडी की लंबाई 11-14 से.मी. और व्यास 1.5-1.6 से.मी. है जिसमे एंटी ओक्सिडेंट, आयरन और कैल्शियम समेत कई पोषक तत्व हैं संस्थान का दावा है कि भिंडी की यह प्रजाति आम लोगों के पोषण की पूर्ती का सबसे अच्छा विकल्प होगी.
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आज घर घर डायबिटीज़ और थायराइड की बीमारी से लोग परेशान हैं, और लोग अपनी सेहत के लिए हरी सब्ज़ियों का सेवन खूब करते हैं लेकिन अब ऐसी संजीवनी बूटी मिल गई है, जो आपको बीमार नहीं पड़ने देगी, जी हां वो है लाल भिंडी, शायद आपने पहली बार लाल भिंडी का नाम सुना होगा. लाल भिंडी ‘काशी लालिमा’ न केवल उम्दा स्वाद उसी हरी भिंडी की ही तरह देगी, बल्कि हरी भिंडी से कहीं ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक होगी.. यह कई बीमारियों से लड़ने में कारगार साबित होगी।

वहीं संस्थान के निदेशक की मानें तो ये भिंडी अपने आप में बहुत ज्यादा चमत्कारी है खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए जिनके शरीर में फॉलिक अम्ल की कमी के चलते बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता है. वह फॉलिक अम्ल भी इस काशी लालिमा भिंडी में पाया जाता है. इतना ही नहीं इस भिंडी में पाए जाने वाले तत्व लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे हृदय संबंधी बामारी, मोटापा और डायबिटीज को भी नियंत्रित करती है.