थायराइड एक प्रकार की ग्रंथि होती है जो गले में बिल्कुल सामने की ओर होती है। थायराइड हमारे शरीर में बहुत अहम भूमिका निभाता है अगर इस ग्रंथि में कुछ दिक्क्त आ जाती है तो हमारे शरीर में अनेक तरह की समस्या आनी शुरू हो जाती हैं। थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है। Early Symptoms Of Thyroid
हमारे द्वारा खाये गए भोजन को ऊर्जा में बदलने में ये ग्रंथि बहुत सहायता करती हैं। अगर यह अपना काम अच्छी तरह नहीं करेगी तो हमारे शरीर का मेटाबोलिज्म प्रभावित होगा।
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इसीलिए इसे साइलेंट किलर कहना गलत नहीं होगा। इसके लक्षण समस्या के प्रकार पर निर्भर करते है हर किसी में इसके लक्षण समान नजर नहीं आते।
अक्सर थायराइड के लक्षणों को हम शुरुआती दौर में भांप ही नहीं पाते हैं और बाद में इसके लक्षणों की अनदेखी हमें हाइपोथाइरॉइड या हाइपरथाइरॉइड की स्थिति तक पहुंचा देती है।
थायराइड हमारे शरीर में मौजूद ऐसी ग्रंथि है जो मेटाबॉलिज्म में मदद करती है। इसमें मौजूद हार्मोन टी3, टी4 और टीएसएच का स्तर कम या ज्यादा होने से समस्या होती है।

थायराइड ग्रंथि क्या होती है :
थायराइड कोई रोग नही होता बल्कि यह एक ग्रंथि का नाम है जिसके कारण ये रोग होता है। यह हमारी गर्दन के निचले हिस्से में पाई जाने वाली एक इंडोक्राइन ग्रंथि (ग्लैंड) है।
ये ग्रंथि एडमस एप्पल के ठीक नीचे होती है। इस ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्लैंड करती है। जबकि पिट्यूटरी ग्लैंड को हाइपोथेलमस कंट्रोल करता है।
थायराइड ग्रंथि थायरॉक्सिन हार्मोन बनाकर हमारे खून तक पहुंचाती है जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहता हैं । यह ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन बनाती है।
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एक टी3 जिसे ट्राई-आयोडो-थायरोनिन कहते हैं और दूसरी टी4 जिसे थायरॉक्सिन कहते हैं। जब ये दोनों हार्मोन असंतुलित होते हैं तो थायराइड की समस्या उत्पन हो जाती है।
थायराइड के कारण :
- थायरायडिस : यह बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण यह रोग होता है।
- दवाएं : कई बार दवाओं के बुरे प्रभाव (साइड इफेक्ट) से भी थायराइड की समस्या हो सकती है।
- आयोडीन की कमी : हम कई बार भोजन में लापरवाही बरत जाते है और आयोडीन युक्त नमक भोजन में शामिल नहीं करते या जयादा कर लेते है। आयोडीन की कमी या जयदा प्रयोग करने से भी हमे थायराइड हो सकता है।
- परिवार का इतिहास : यदि आप के परिवार के किसी सदस्य को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा होती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।

थायराइड का इलाज :
सर्जरी : सर्जरी के द्वारा भी बढ़ी हुई आंशिक थाइराइड ग्रंथि को निकाल दिया जाता है, जो एक सामान्य और सरल तरीका है। जिन मरीजों को सांस से सम्बंधित शिकायत है तो उनको सर्जरी से पहले डॉ से जरूर परामर्श लेनी चाहिए। बच्चे और प्रेग्नेंट महिलाए जो दवाई लेने में असमर्थ है उनके लिए सर्जरी एक आसान तरीका है।
एंटीथाइराइड गोलियां : थाइराइड में आपको सामान्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे बुखार, थकान आदि। इस तरह की समस्या होना थायराइड में आम बात है जोकि बिना किसी इलाज के भी कई बार है सही हो जाती है। लेकिन थायराइड के लिए आपको रेगुलर एंटीथाइराइड की गोलियां लेनी पड़ेगी। परन्तु बिना डॉ की सलाह के एंटीथाइराइड की गोलियां लेना हानिकारक साबित हो सकता है क्योंकि आपको उनके लेने के सही समय और तरीका पता नहीं होता।
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थायराइड के लक्षण :
आपको ये तो जरूर पता होगा की हमारा शरीर अनेक प्रकार के इन्फेक्शन से लड़ता है जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण ही मुमकिन हो पाता है। लेकिन इस रोग में हमारी रोग प्रति रोधक क्षमता कम हो जाती है।
जब हमारी यह क्षमता कम होगी तो हमे अनेक रोग होने के चांस होते है। शुरुआत में अधिकतर लोग इन्हे नजरअंदाज कर जाते है लेकिन ये एक बेवकूफी भरा कदम होता हैं थोड़ी सी दिक्क्त महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।

गर्दन में सूजन :
थायराइड बढ़ने पर गर्दन में सूजन की संभावना बढ़ जाती है। गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
बालों और त्वचा की समस्या :
खासतौर पर हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन, बालों का झड़ना, भौंहों के बालों का झड़ना जैसी समस्याएं होती हैं जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से झड़ना और संवेदनशील त्वचा जैले लक्षण दिखते हैं।
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पेट खराब होना :
लंबे समय तक कान्सटिपेशन की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार-बार होती है। इस वजह से भूख कम लगने की भी शिकायत हो जाती है
हार्मोनल बदलाव :
महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते हैं। थायराइड की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है।

मोटापा :
हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से वजन बढ़ता है। इतना ही नहीं शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है।
थकान, अवसाद या घबराहट :
अगर बिना अधिक मेहनत करने के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं या छोटी-छोटी बातों पर घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड हो सकती है।
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थायराइड कम करने के घरेलू नुस्खे :
देशी गाय का मूत्र : सबसे पहले गाय का मूत्र लेकर सुबह खाली पेट चार चम्मच सेवन करने से थायराइड में 15 दिन में लाभ मिलना प्रारंभ हो जाता है इसके साथ मुंह के स्वाद को बदलने के लिए संतरा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं यदि यह उपचार नियमित रूप से करेंगे तो आप थायराइड जैसी समस्या से छुटकारा पा लेंगे
धनिया : साबुत धनिया को बारीक पीसकर इसका पाउडर बनाकर एक चम्मच एक गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह से मिलाकर उसे खूब उबालें फिर थोडा ठंडा करके इसे एक ड्रिंक की तरह पिएं यह उपाय किसी भी प्रकार के थायराइड में फायदेमंद है

लौकी का जूस : लौकी का जूस और व्हीटग्रास का जूस सुबह खाली पेट पिए और इसके बाद पानी में 30 ml अलोएवेरा, २ बूँद तुलसी का जूस मिला कर सेवन करे। इसके बाद आपको 30 मिनट तक कुछ खाये पिये नहीं। इसके अलावा दिन में एक बार मौसमी फलो के ज्यूस से सेवन अवश्य करे.
फ्राइड फूड्स खाये : थायराइड होने पर डॉक्टर इस हार्मोन को बनाने वाला ड्रग देता है। लेकिन, तला हुआ खाने से इस दवाई का असर कम हो जाता है। इसलिए अपनई दिनचर्या में ड्राई फ्रूट्स जरूर शामिल करे।
चीनी : थायराइड होने पर ज्यादा चीनी खाने से भी बचें। ऐसी कोई भी खाद्य सामग्री न ले जिसमे चीनी का मिश्रण हो।
कॉफी : ज्यादा कॉफी पीने से भी थायराइड हो सकती है इसलिए कॉफी का सेवन सिमित मात्रा में करे।
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सोया : हाइपोथायराइडिज्म के इलाज के दौरान सोया का सेवन बिलकुल बंद कर दे।
पानी : इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को दिन में 3-4 लीटर पानी पीना चाहिए। इससे शरीर से विषैले पदार्थ शरीर से बहार निकल जाते है।
थायराइड की जांच :
थायराइड की जांच की मरीज का थायराइड टेस्ट कराया जाता हैं जिसमे TFT (थायराइड फंक्शन टेस्ट्स) शामिल है। इस जांच को करवाने के बाद यह पता चल जाता हैं की इसको थायराइड है या नही। इस जांच के बाद यह निश्चित हो जाता है कि मरीज को हाइपोथाइराइड है या हाइपरथाइराइड।
इस जांच में इन हॉर्मोन के लेवल का पता किया जाता हैं की किस हॉर्मोन का लेवल बढ़ा हुआ है और कौन सा काम है। इनके लेवल के आधार पर ही हाइपोथाइराइड या हाइपरथाइराइड बताया जाता है जब भी आपको थाइराइड से सम्बंधित लक्षण नजर आते हैं तो तुरत जांच करा के डॉ की सलाह के अनुसार इलाज शुरू कर दे।

थायराइड रोग से बचने के उपाय :
- हर 5 साल में अपने आप को थायराइड के लिए जांच करवाएं, आमतौर पर जब आप 35 साल पार करते हैं।
- गर्भावस्था के दौरान और बाद में थायराइड की जांच करवाएं।
- धूम्रपान छोड़े।
- शराब और कैफीन के सेवन से बचें।
- खुद को तनाव मुक्त रखें।
- फ़िल्टर्ड पानी पिएं।
- गहरे तले हुए खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
- आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- अपने वजन को नियंत्रण में रखें।
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