वैसे तो सिंदूर सुहाग का प्रतीक है और इसे सभी सुहागन स्त्रियों द्वारा मांग में लगाने की परंपरा है। सिंदूर का पूजन-पाठ में भी गहरा महत्व है। बहुत से देवी-देवताओं को सिंदूर अर्पित किया जाता है। श्री गणेश, माताजी, भैरव महाराज के अतिरिक्त मुख्य रूप से हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाया जाता है।
हनुमानजी का पूरा शृंगार ही सिंदूर से किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार हर युग में बजरंग बली की आराधना सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। हनुमानजी श्रीराम के अनन्य भक्त हैं और जो भी इन पर आस्था रखता है उनके सभी कष्टों को ये दूर करते हैं। हनुमानजी को सिंदूर क्यों लगाया जाता है? इस संबंध में शास्त्रों में एक प्रसंग बताया गया है, जो कि काफी प्रचलित है। इसके अलावा सिंदूर से चोला चढ़ाने के पीछे कुछ और भी कारण हैं।
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मूर्तियों का शृंगार करने के पीछे एक कारण यह भी है कि शृंगार से मूर्तियों की सुंदरता बढ़ती है। भगवान की शक्ल शृंगार से ही अधिक उभरती है, जिससे उनकी भक्ति करने वाले भक्त को देवी-देवताओं के होने का आभास प्राप्त होता है। इसके अलावा शृंगार से मूर्ति की सुरक्षा भी होती है। यदि शृंगार न किया जाए तो मूर्तियां समय के साथ पुरानी होकर खंडित हो सकती है। शृंगार के अभाव में मूर्ति से देवी-देवताओं के चेहरे दिखाई देना बंद हो सकते हैं। इन्हीं कारणों से हनुमानजी के मूर्तियों पर भी सिंदूर से चोला चढ़ाया जाता है ताकि मूर्ति की सुंदरता भी बनी रहे और उसकी सुरक्षा भी होती रहे।

अद्भुत रामायण में एक कथा का उल्लेख मिलता है, जिसमें श्री रामचंद्र का राज्याभिषेक होने के पश्चात एक मंगलवार की सुबह जब हनुमानजी को भूख लगी, तो वे माता जानकी के पास कुछ कलेवा पाने के लिए पहुंचे।
सीता माता की मांग में लगा सिंदूर देखकर हनुमानजी ने उनसे आश्चर्यपूर्वक पूछा- ‘माता! मांग में आपने यह कौन-सा द्रव्य लगाया है?’
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इस पर सीता माता ने प्रसन्नतापूर्वक कहा- ‘पुत्र! यह सिंदूर है, जो सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक, मंगलसूचक, सौभाग्यवर्धक है, जो स्वामी के दीर्घायु के लिए जीवनपर्यंत मांग में लगाया जाता है। इससे श्रीराम मुझ पर प्रसन्न रहते हैं।’
हनुमानजी ने यह जानकर विचार किया कि जब अंगुली भर सिंदूर लगाने से स्वामी की आयु में वृद्धि होती है, तो फिर क्यों न सारे शरीर पर इसे लगाकर स्वामी भगवान श्रीराम को अजर-अमर कर दूं।
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उन्होंने जैसा सोचा, वैसा ही कर दिखाया। अपने शरीर पर सिंदूर पोतकर भगवान् श्रीराम की सभा में पहुंच गए। उन्हें इस प्रकार सिंदूरी रंग में रंगा देखकर सभा में उपस्थित सभी लोग हंसे, यहां तक कि भगवान श्रीराम भी उन्हें देखकर मुस्काराए और बहुत प्रसन्न हुए। उनके सरल भाव पर मुग्ध होकर उन्होंने यह घोषणा की कि जो भक्त मंगलवार के दिन मेरे अनन्य प्रिय हनुमान को तेल-सिंदूर चढ़ाएंगे, उन्हें मेरी प्रसन्नता प्राप्त होगी और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होगी। इससे माता जानकी के वचनों पर हनुमानजी को और भी अधिक दृढ़ विश्वास हो गया।

कहा जाता है कि उसी समय से भगवान श्रीराम के प्रति हनुमानजी की अनुपम स्वामी भक्ति को याद करने के लिए उनके सारे शरीर पर चमेली के तेल में सिंदूर घोलकर लगाया जाता है। इसे अन्य स्थानों पर चोला चढ़ाना भी कहते हैं।
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वैसे तो सभी के जीवन में समस्याएं सदैव बनी रहती हैं लेकिन यदि किसी व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक परेशानियां उत्पन्न हो गई है और उसे कोई रास्ता नहीं मिल रहा हो तब हनुमानजी की सच्ची भक्ति से उसके सारे बिगड़े कार्य बन जाएंगे। दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाएगा। प्रतिदिन हनुमान के चरणों का सिंदूर अपने सिर या मस्तक पर लगाने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और विचार सकारात्मक बनते हैं। जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
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