भारत के हिंदू धर्म में पंचामृत को अमृत के समान माना जाता है और इसे पीने से बहुत लाभ होता है. पंचामृत पीने के साथ ही देखने में भी बहुत स्वादिष्ट नजर आता है. ऐसे में घर में, मंदिर में जब भी किसी प्रकार की पूजा होती है तो भगवान को पंचामृत का भोग लगाया जाता है और उसके बाद वह सभी में बांटा जाता है. Health Benefits of Panchamrit
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ऐसे में कहते हैं जब भगवान की मूर्ति की स्थापना की जाती है या किसी विशेष अवसर पर भगवान को स्नान कराया जाता है तो भी पंचामृत की पांचों चीजों से भगवान का अभिषेक किया जाता है. जिसका सेवन करने से सकारात्मक भाव की उत्पत्ति होती है और नकारात्मक सोच दूर होती है।
पंचामृत को बनाने के लिए दूध, दही, तुलसी के पत्ते, शहद और गंगाजल का उपयोग किया जाया है और इन सभी चीजों को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है.

शास्त्रों की माने तो पंचामृत अकाल मृत्यु से रक्षा करता है और सभी रोगों का नाश करता है. वहीं पंचामृत का पान करने से व्यक्ति को कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और उसके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है. वहीं श्रद्धापूर्वक पंचामृत का पान करने वाले मनुष्य को संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है और वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है.
सेहत की दृष्टि से देखें तो पंचामृत का सेवन करने से शरीर की कई समस्याएं व तकलीफ दूर हो जाती है। रोज प्रतिदिन पंचामृत का सेवन करने से ब्लड प्रेशर, कब्ज की समस्या, डायबिटीज, अनिद्रा, हार्ट अटैक जैसी समस्या से निजात मिलता है। पंचामृत पीने का एक विशेष समय होता है।
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सूर्य उदय के समय पंचामृत पीने से मन को शांति मिलती है व तन में शीतलता बनी रहती है। सूर्य अस्त के उपरांत पंचामृत पीना अशुभ माना जाता है। पंचामृत मे तुलसी के पत्ते को डालकर पंचामृत पीया जाना चाहिए। ऐसा करने से घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
पंचामृत दोनों हाथों में लेकर इसका सेवन करना चाहिए। एक भी बूंद जमीन में गिरने से अशुभ व देवी देवता का अपमान होता है। पूजा मे पंचामृत का प्रसाद विशेष भोग होता है व साथ ही देवी देवताओं को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। बासी पंचामृत को फेंका नहीं जाता बल्कि उसे विसर्जन किया जाता है।

ऐसे में पंचामृत का पान करते समय एक विशेष मंत्र का जाप भी करना चाहिए, क्योंकि इसके जाप से वह सब कुछ हांसिल हो जाता है जो आप पाना चाहते हैं.
आइए जानते है मंत्र
ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां, स्वसादित्यानाममृतस्य नाभिः ।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय, मा गामनागामदितिं वधिष्ट ।।
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