हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसके पास अपना एक घर हो। इसके लिए लोग अपने जीवन भर की कमाई तक लगा देते हैं लेकिन कुछ लोगों के साथ ऐसी स्थिति हो जाती है कि उनका घर समय पर पूरा नहीं हो पाता है या घर बनते-बनते उन्हें बेचना पड़ जाता है। अगर घर बन जए तो घर में सुख चैन की कमी रहती है। Home Tips According To Vastu
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इस तरह की समस्या के पीछे वास्तु दोष भी एक बड़ा कारण माना जाता है। आपके या आपके अपनों के साथ ऐसा नहीं हो इसलिए घर बनवाते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें और वास्तु दोष से होने वाली परेशानियों से बचें।
निवास दो प्रकार का होता है। पहला निवास आध्यात्मिक दृष्टि से शरीर होता है और दूसरा निवास जिसमें परिवार रहता है। अपने परिवार का निवास कैसा होना चाहिए? उसमें क्या सुविधा होनी चाहिए, जिससे सुख-समृद्धि, वैभव, शांति इत्यादि की दिनों-दिन वृद्धि हो और व्यक्ति का जीवन आनंद से परिपूर्ण हो जाए?

वास्तु शास्त्र में साधारण तौर पर कुछ ऐसे ध्यान देने वाले बिंदु हैं जिनका पाल करने से वास्तु से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं तथा मकान में शांति एवं पवित्रता का वातावरण बनता है, अत: किस दिशा में क्या रखना चाहिए जानने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दें-
घर के मध्य में आंगन या चौक वाला स्थान ब्रह्मा का है, उसे हमेशा साफ रखना चाहिए।
घर में समृद्धि के लिए प्रवेश द्वार पर लक्ष्मी, कुबेर या गणपति की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित करनी चाहिएं। ईशान कोण में कभी भी कूड़ा-कर्कट इकट्ठा न होने दें। ईशान कोण पवित्र स्थान है। यहां कभी भी झाड़ू न रखें। इसे हमेशा साफ-सुथरा व खाली रखने का प्रयास करें क्योंकि इस दिशा को अशुद्ध रखने से मानसिक तनाव एवं शारीरिक कष्ट होता है। उत्तर दिशा कुबेर का स्थान है, अत: तिजोरी, लॉकर, नकद राशि आदि इसी दिशा में रखें।
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पलंग का सिरहाना दक्षिण दिशा की ओर तथा पलंग दीवार से सटाकर रखें। भारी संदूक, सोफा-सैट, अलमारी, भारी सामान का स्टोर आदि दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें।
घर में तुलसी, चंदन आदि के पौधे लगाने चाहिएं। पूजा स्थल उत्तर-पूर्व कोण (ईशान) में उत्तम होता है। रसोईघर में कभी पूजा स्थल न बनाएं। रसोईघर में चूल्हा दक्षिण-पूर्व कोण (आग्नेय दिशा) में रखना चाहिए। इससे आग लगने, गैस सिलैंडर फटने जैसी घटनाएं नहीं घटेंगी।
मेहमानों को उत्तर-पश्चिम कोण (वायव्य दिशा में बिठाना चाहिए। घर में बेर, बबूल, नींबू के पेड़ कभी न लगाएं, ये वर्जित पेड़ हैं। उत्तर-पूर्व दिशा के कमरे को स्टोर रूम कभी न बनाएं।
दैनिक उपयोग में आने वाला जल उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। घर में साज-सज्जा के लिए कबूतर, बाज, सर्प, गीदड़, उल्लू, गिद्ध, सूअर, झंडा, शेर आदि के चित्र न लगाएं। युद्ध, ज्वालामुखी और भूकंप आदि के चित्र भी वर्जित हैं।

मिर्च-मसाले, आटा, दाल और चावल आदि दक्षिण-पश्चिम दीवार के सहारे रखें। बच्चों के पढऩे की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए कि पढ़ते समय उनका मुंह उत्तर की ओर रहे, इससे मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है। यह भी ध्यान रखें कि मेज दीवार से छुए नहीं।
घर के मुख्य दरवाजे के दोनों और दूध, पानी मिलाकर डालें, बीच में हल्दी का स्वस्तिक बनाएं, उस पर गुड़ (सूर्य) की छोटी डली रखें और दो-चार बूंद (चंद्र) डालकर पूजा करें, इससे मकान के दोष दूर होंगे, बाहरी हवा का प्रभाव नहीं होगा, ऐसा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होने लगती है।
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