खरमास को मलमास भी कहते हैं। खरमास के महीने में भगवान विष्णु की पूजा का खासा महत्व है। धनु एवं मीन राशि में सूर्य के प्रवेश करने से खरमास लगता है। इस वर्ष 14 मार्च (शनिवार) से खरमास शुरू हो रहा है, जो एक माह तक रहेगा। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे। इस दौरान विवाह भी नहीं होगा। Importance of Kharmas
खरमास के समय आप को भगवान सूर्य और श्री हरि विष्णु की आराधना करनी चाहिए। सूर्य जब-जब बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करता है, तब-तब खरमास लग जाता है। सूर्य 14 मार्च से मीन राशि में प्रवेश कर रहा है इसलिए एक माह के लिए खरमास प्रारंभ हो जाएगा।
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समस्त शुभ कार्यों के लिए बृहस्पति का साक्षी और शुद्ध होना आवश्यक है, किंतु सूर्य के बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करने से बृहस्पति अस्त के समान फल देने लगता है इसलिए इस एक माह के अंतराल में शुभ कार्य, विशेषकर विवाह आदि पर प्रतिबंध लग जाता है।
कब से लग रहा है खरमास :
खरमास को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं जैसे सूर्य अपने तेज को अपने गुरु के घर में पहुंचते ही समेट लेता है। अपने प्रभाव को छिपा लेता है और गुरु को साष्टांग नमन कर प्रभावहीन हो जाता है। ऊर्जा के देवता के प्रभावहीन हो जाने पर समस्त शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं, क्योंकि किसी भी कार्य में ऊर्जा की जरूरत होती है। खरमास 14 मार्च से 13 अप्रैल तक है, जो एक माह के लिए रहेगा। 14 अप्रैल से विवाह, मुंडन, हवन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।

खरमास की कथा/ कहानी :
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार खरमास की कहानी कुछ यूं है। भगवान सूर्यदेव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें कहीं पर भी रुकने की इजाजत नहीं है। उनके रुकते ही जनजीवन भी जो ठहर जाएगा। लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुते होते हैं, वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं।
उनकी इस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया। भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब किनारे ले गए लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे।
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अब भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिए छोड़ देते हैं और खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं। अब घोड़ा, घोड़ा होता है और गधा, गधा। रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे-तैसे 1 मास का चक्र पूरा होता है, तब तक घोड़ों को भी विश्राम मिल चुका होता है। इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौरवर्ष में 1 सौरमास ‘खरमास’ कहलाता है।
खरमास में क्या करें :
खरमास के इन दिनों में दान पुण्य का विशेष महत्व है इसलिए इन दिनों में किया गया दान का विशेष फल प्राप्त होता है। खरमास के दौरान जितना संभव हो सके गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को दान करें। खरमास में सूर्य आराधना का विशेष महत्व है। कोशिश करें कि खरमास में प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में जाग जाएं और स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर केसर युक्त केसर युक्त दूध से उनका अभिषेक करें।

शुद्ध तुलसी की माला से भगवान विष्णु का 11 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें। और सूर्य आराधना करें । सूर्य आदित्य स्त्रोत और सूर्य मंत्रों का जाप करें। गाय को हरा चारा खिलाएं, गौसेवा करे और पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करें। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
खरमास के दौरान शुभ कार्यों का निषेध बताया गया है। इसलिए इन दिनों में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, नए कारोबार का प्रारंभ आदि कार्य नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इन दिनों मे प्रारंभ किए गए काम का अच्छा फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए खरमास या मलमास के दिनों में किसी भी शुभ कार्य को करने से परहेज करें और ज्यादा से ज्यादा समय उपासना में बिताएं।
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खरमास में क्या न करें :
जब भी हम कोई मांगलिक कार्य करते हैं तो उसके फलित होने के लिए गुरु का प्रबल होना जरूरी है। धनु एवं मीन बृहस्पति ग्रह की राशियां हैं। खरमास के समय सूर्य इन दोनों राशियों में होते हैं, इसलिए शुभ कार्य नहीं होते। खरमास में गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए बिजनेस का प्रारंभ, शादी, सगाई, वधू प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।
मान्यता अनुसार पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसलिए खरमास में पीपल की पूजा करना भी काफी लाभदायक है। काम-धंधे में उन्नति चाहते हैं तो खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन कराएं। ऐसा करने से आप पुण्य के भागीदार होंगे। खरमास के महीने में अपने अंदर से सभी प्रकार की बुरी आदतों, विचारों, कार्यों को बंद कर सत्कर्म करें।

खरमास में मनेगी नवरात्रः
इस बार नवरात्रि का प्रारंभ खरमास में हो रहा है। चैत्र नवरात्र 25 मार्च बुधवार से प्रारंभ हो रही है। इस दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की आराधना प्रारंभ होगी। चैत्र नवमी 02 अप्रैल को है।चैत्र नवरात्र की शुरुआत 25 मार्च से है। चैत्र नवमी 2 अप्रैल 2020 को है। इन्हीं दिनों में चैती छठ जैसा महत्वपूर्ण पर्व भी मनेगा।
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