हेल्लो दोस्तों भारतीय परंपरा में बच्चे के मुंडन का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में 16 संस्कार होते हैं, जिनमें मुंडन संस्कार आठवां है। इस संस्कार के दौरान बच्चे का मुंडन किया जाता है यानी उसके पैदा होने के बाद पहली बार सिर के बाल उतरवाए जाते हैं। Mundan Sanskaar Ke Faayde
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मुंडन संस्कार को चूड़ाकर्म संस्कार भी कहा जाता है। इससे पहले सातवां संस्कार अन्नप्राशन होता है, जिसमें बच्चे को पहली बार ठोस आहार खिलाया जाता हैं।
आज हम आपको बच्चों के मुंडन से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण बातों को बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आप को भी पता लगेगा कि बच्चों का मुंडन क्यों जरूरी है और मुंडन कब कराना चाहिए। लोग अपनी रीति के अनुसार जन्म और मृत्यु के समय इस संस्कार को करते हैं। मुंडन (mundan) करवाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

मुंडन को करवाने की मान्यता :
नवजात बच्चों का मुंडन धार्मिक कार्यों की वजह से किया जाता हैं| जब शिशु जन्म लेता है तब उसके सिर पर गर्भ के समय से ही कुछ केश (बाल) पाए जाते हैं जो अशुभ माने जाते हैं| हिंदू धर्म के अनुसार मानव जीवन 84 लाख योनियों के बाद मिलता है। पिछले सभी जन्मों के ऋण को उतारने और पाप कर्मों से मुक्ति के उद्देश्य से, उसके जन्मकालीन केश काटे जाते हैं और ऐसा ना करने पर दोष लगता है।
धार्मिक मान्यता के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक कारण भी माना जाता हैं पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शिशु के मस्तिष्क को दुरुस्त करने, बुद्धि को बढ़ाने और गर्भावस्था की अशुद्धियों को दूर कर मानवतावादी आदर्शों को प्रतिस्थापित करने के लिए मुंडन संस्कार करवाया जाता हैं।
मुंडन के बाद कहीं-कहीं शिखा छोड़ने का भी प्रयोजन है जिसके पीछे मान्यता यह हैं कि इससे दिमाग की रक्षा होती हैं, साथ ही इससे राहु ग्रह की शांति होती हैं, जिसके फलस्वरूप सिर ठंडा रहता है।
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मुंडन कब-कब करवाना चाहिए? :
ऐसे तो मुंडन अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार करवाया जाता है। परंतु आमतौर पर जन्म के बाद पहले वर्ष के अंत में या फिर तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के समाप्ति से पहले मुंडन संस्कार करवाना प्रचलित है।
मुंडन कहां करवाएं :
हिंदू धर्म के अनुसार, सही मुहूर्त देखकर मुंडन संस्कार किया जाता है। आमतौर पर इसे किसी धार्मिक तीर्थ स्थल (जैसे तिरुपति बालाजी, गंगाजी या किसी देवी माता के मंदिर में) पर करते हैं। धार्मिक तीर्थ स्थल पर मुंडन कराने की परंपरा इसलिए है, ताकि बच्चे को धार्मिक स्थल के वातावरण का लाभ मिल सके। इसका शुभ मुहूर्त लोग बच्चे के जन्म और समय के आधार पर पंडित से निकलवाते हैं।
मुंडन करवाने की विधि :
मुंडन संस्कार के दौरान बच्चे को मां अपनी गोद में बिठाती है और उसका मुंह पश्चिम की दिशा में अग्नि की तरफ रखती है। इस दौरान पंडित हवन भी करते हैं। इसके बाद नाई उस्तरे की मदद से बच्चे का मुंडन करते हैं। हालांकि कुछ परिवारों में शुरुआती बाल पंडित से उतरवाए जाते हैं।
इसके बाद गंगाजल से बच्चे का सिर धोया जाता है। फिर बच्चे के सिर पर हल्दी और चंदन का पेस्ट लगाया जाता है। अगर बच्चे के सिर पर किसी तरह का कट लग जाता है, तो इस पेस्ट से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।

इसके बाद बच्चे के बालों को किसी भगवान की मूर्ति के आगे समर्पित किया जाता है या फिर नदी में बहाया जाता है।कुछ परंपराओं में मुंडन के दौरान थोड़े-से बालों को छोड़ दिया जाता है। कहा जाता है कि यह चोटी मस्तिष्क को सुरक्षा देती है।
मुंडन के लाभ :
मुंडन करवाना एक संस्कार है किन्तु इसके करवाने से कई लाभ भी हैं, जैसे कि:
1. सफाई के रूप में :
कहते हैं जब बच्चा माँ के गर्भ में होता हैं तब उसके सिर पर कुछ बाल होते हैं जिनमें बहुत से किटाणु व बैक्टीरिया लगे होते हैं| यह बैक्टीरिया साधारण तरीके से नहलाने या धोने से नहीं निकलते। इसलिए जन्म के बाद एक बार बच्चे का मुंडन अवश्य करवाना चाहिए।
2. अच्छे बालों के लिए :
मुंडन करवाने के बाद सिर बिल्कुल खुला हो जाता है जिससे बच्चे के सिर और शरीर पर विटामिन डी यानी धूप की रोशनी सीधी पड़ती है। इससे कोशिकाएं जागृत होती है और नसों में खून का परिसंचरण अच्छे से होता हैं। इससे उसके भविष्य में आने वाले बाल भी अच्छे आते हैं।
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3. बुद्धि के लिए :
मुंडन को करवाने के बाद सिर खुला खुला हो जाता हैं व इसको करवाते समय नसों पे दबाव भी पड़ता हैं जिससे खून का प्रवाह अच्छे से होता हैं| जो कि दिमाग के विकास के लिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण हैं|
4. स्वास्थ्य के नजरिये से :
मुंडन करवाने से बच्चों के शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है। जिससे उनका दिमाग और शरीर ठंडा रहता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य संबंधी अन्य परेशानियां जैसे फोड़े-फुंसी, दस्त आदि से भी राहत होती हैं।
5. दांतों की खुजली :
जब मुंडन करवाया जाता हैं तब बच्चे के दांत भी निकलने शुरू हो रहे होते हैं| इस कारण उन्हें सिर में भारीपन महसूस होता हैं| सिर के बाल निकल जाने की वजह से उन्हें बहुत आराम मिलता हैं| यह भी माना जाता हैं कि मुंडन करवाने से दांत निकलते समय होने वाले दर्द और तालु का कांपना भी बंद हो जाता हैं।

इन बातों का ध्यान रखे :
- बच्चे जब शांत हो तभी सिर के बाल उतरवाए नहीं तो कटने का खतरा रहता हैं।
- मुंडन करवाने के दौरान आपके बच्चे का पेट अच्छी तरह भरा हुआ हो। अगर वह भूखा होगा, तो हो सकता है कि मुंडन के बीच में छटपटाने लगे और हाथ-पैर मारने लगे। ऐसा करने से उसे चोट भी लग सकती है।
- जिस ब्लेड व रेजर का इस्तेमाल करना हो उसको अच्छे से साफ कर ले|
- मुंडन के बाद शिशु के सिर को अच्छी तरह साफ करें और उस पर कोई तेल लगा दें ताकि जलन न हो।
- मुंडन के बाद कम से कम एक हफ्ते बच्चे के सिर पर किसी तरह के शैम्पू का इस्तेमाल करने से बचे| क्योंकि इससे त्वचा सूखी होगी व आपका बच्चा भी चिड़चिड़ा महसूस करेगा|
- कुछ दिनों तक बच्चे के सिर को दूध से धोये| इससे उसके सिर की त्वचा भी कोमल होगी व बाल भी अच्छे आयेंगे|
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