हेल्लो दोस्तों आज कोरोना महामारी की ख़बरों के बीच विश्व के सबसे बडे आध्यात्मिक संगठनों में से एक ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी का बीती रात दो बजे निधन हो गया। वे 104 वर्ष की थी। दादी जानकी स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एम्बेसडर भी थी। Dadi Janaki Passed Away
आपकी जानकारी के लिए बता दें दादी कई दिनों से अस्वस्थ चल रही थी राजस्थान के सिरोही जिले में माउण्ट आबू के ग्लोबल हास्पिटल में उपचार के दौरान उनका निधन हुआ। दादी जानकी दुनिया की एकमात्र महिला थीं, जिन्हें मोस्ट स्टेबल माइंड इन वर्ल्ड का खिताब मिला था। दादी जानकी का अंतिम संस्कार शुक्रवार शाम 3.30 बजे माउण्ट आबू में ही ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में होगा।
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पाकिस्तान के हैदराबाद में हुआ था जन्म :
गौरतलब है कि दादी जानकी का जन्म वर्ष 1916 में अविभाज्य भारत के हैदराबाद सिंध प्रांत में हुआ था। भक्ति भाव के संस्कार बचपन से ही मां-बाप से विरासत में मिले। वो बेहद कम उम्र में ही लोगों को दुखों से दूर करने और समाज में फैली कुरितियों को दूर करने में जुट गई थीं। उन्होंने अपना जीवन समाज कल्याण, समाजसेवा और विश्व शांति के लिए अर्पण करने का साहसिक फैसला कर लिया था।
माता-पिता की सहमति के बाद 21 वर्ष की आयु में दादी ओम् मंडली से जुड़ गईं थीं। मौजूदा ब्रह्माकुमारी का नाम पहले यही हुआ करता था। इसके संस्थापक ब्रह्माबाबा के सान्निध्य में उन्होंने 14 वर्ष तक गुप्त तपस्या की।

21 वर्ष की उम्र में अपनाया आध्यात्मिक पथ :
दुनिया की दादी के नाम से मशहूर राजयोगिनी दादी जानकी का जन्म एक जनवरी 1916 को हैदराबाद सिंध, जो अभी पाकिस्तान में है। दादी जानकी ने 21 वर्ष की उम्र में ही इस आध्यात्मिक पथ को अपना लिया था।
सन् 1970 में भारतीय संस्कृति मानवीय मूल्यों और राजयोग का संदेश देने के लिए पश्चिमी देशों का रुख किया था। विश्व के 140 देशों में उन्होंने ब्रह्माकुमारीज केन्द्रों की स्थापना कर लाखों लोगों के अन्दर एक सच्चे मानव के संस्कार का बीज बोया था।
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विश्व की सबसे स्थिर मन की महिला का है वर्ल्ड रिकार्ड :
दादी के नाम नाम विश्व की सबसे स्थिर मन की महिला का वर्ल्ड रिकार्ड भी है। अमेरिका के टेक्सास मेडिकल एवं साइंस इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षण के बाद दादीजी को मोस्ट स्टेबल माइंड ऑफ द वर्ल्ड वूमन के खिताब से नवाजा गया था।
उन्होंने योग से अपने मन को इतना संयमित, पवित्र, शुद्ध और सकारात्मक बना लिया था कि वह जिस समय चाहें, जिस विचार या संकल्प पर और जितनी देर चाहें, स्थिर रह सकती थीं।
दादी के नाम 104 साल की उम्र में 12 महीने में 4 माह तक भारत के कई शहरों और दस देशों में 72 हजार किमी की यात्रा का विश्व रिकॉर्ड भी उन्होंने बनाया है। 1916 में जन्मी दादी जानकी प्रात: चार बजे उठकर ज्ञान, ध्यान, राजयोग और लोगों से मिलना जुलना प्रारंभ करती थीं।

जीवन ईश्वरीय सेवा में समर्पित :
ब्रह्माकुमारीज संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि के देहावसान के पश्चात सन् 27 अगस्तए 2007 को वह संस्थान की मुख्य प्रशासिका बनी। उनके सान्निध्य में तकरीबन 46 हजार युवा बहनों ने अपना जीवन ईश्वरीय सेवा में समर्पित किया। वे इन 46 हजार युवा बहनों की अभिभावक थी।
कक्षा चौथी तक पढ़ी दादी जानकी ने ईश्वरीय सेवाओं के लिए पश्चिमी देशों को चुना. 1970 में पहली बार लंदन गईं और 35 वर्षों तक वहीं रहकर सौ से ज्यादा देशों में ईश्वरीय संदेश को पहुंचाया. हजारों-लाखों लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई.
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2007 में बनी मुख्य प्रशासिका:
ब्रह्माकुमारीज संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि के देहावसान के पश्चात 25 अगस्त, 2007 को ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका का कार्यभार सौंपा गया. तब से लेकर आज तक वे देश और दुनिया भर में अमन, चैन और सुख शांति की स्थापना के लिए कार्यरत हैं.

पीएम मोदी ने जताया गहरा दु:ख :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्म कुमारियों के प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी जी के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने कहा कि दादी जानकी जी परिश्रम के साथ समाज की सेवा की है। वह दूसरों के जीवन में सकारात्मक अंतर लाने के लिए सबसे ऊपर थी।
महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में उनके प्रयास उल्लेखनीय थे। इस दुख की घड़ी में मेरे विचार उनके अनगिनत अनुयायियों के साथ हैं। शांति। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का उन्हें ब्रांड एम्बेसडर बनाया था
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