शनिदेव, भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं। शनि को न्याय का देवता कहा जाता है ऐसी मान्यता है कि शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के अनुसार दंड देते हैं। Shani Shingnapur Mandir
पूरे भारत में शनि महाराज के दो प्रमुख निवास स्थान हैं जिनमें एक मथुरा के पास स्थित कोकिला वन है और दूसरा महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित शिंगणापुर धाम।
इनमें शिंगणापुर का विशेष महत्व है। यहां पर शनि महाराज की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक बड़ा सा काला पत्थर है जिसे शनि का विग्रह माना जाता है।
ये भी पढ़िए : शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है
आप कभी अपने सामानों को या किसी कीमती चीजों के ऐसे ही खुले में छोड़ कर कहीं जाते हो? अगर चले भी गए तो पुरे दिन यही व्यथा सताती रहती है कि कोई हमारा सामान चोरी न कर ले या कहीं कुछ हो न जाये।
अपनी चीजों का मोह तो ऐसे भी मानव जाति को बहुत होता है। कहने के लिए लोग कहते हैं की ‘इंसान अपना न कुछ लेकर आया है न अपना कुछ लेकर जायेगा’, पर सच्चाई तो जग ज़ाहिर है। अपना अपना कह कर लोग किसी भी चीज़ का मोह नहीं छोड़ पाते।

ऐसे ज़माने में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सब कुछ अपने भगवान जी पर छोड़ कर अपनी दिनचर्या बिता रहे हैं। जी हाँ, आपने बिल्कुल सही सुना ऐसे लोग हैं आज भी और ये कहीं और नहीं अपने देश भारत में ही हैं। भारत के महाराष्ट्र राज्य में अहमदनगर जिले में ऐसा गाँव है।
ये है गाँव :
विश्व प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है।
एक ऐसा गाँव, जहाँ शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है, घर हैं परंतु दरवाज़े नहीं हैं, वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है। हमें पता है आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा पर यही सच्चाई है इस गांव की।
ये भी पढ़िए : शनिवार के दिन इन चीजों का खरीदना जीवन में लाता है दुर्भाग्य
गाँव के बीचों बीच शनि देव की स्वयम्भू मूर्ति काले रंग की है। यह मूर्ति 5 फुट 9 इंच ऊँची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी है जो एक चबूतरे पर ही धूप में विराजमान है।
यहाँ शनिदेव अष्ट प्रहर चाहे वह धूप हो, आँधी हो, तूफ़ान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में शनि देवता बिना छत्र धारण किए खड़े होते हैं।
पूरे साल रोज़ाना यहाँ हज़ारों की संख्या में भक्त शनि देवता के दर्शन को आते हैं। इन भक्तों में कई प्रभावशाली राजनेता और हस्तियां भी शामिल होती हैं।

अनोखी है शनिदेव की कहानी :
शनि शिंगणापुर में स्थित शनि देव की काले रंग की पाषाण प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है। इस प्रतिमा को लेकर एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार कहा जाता है कि शिंगणापुर गाँव में एक बार बाढ़ आ गई थी तब यहाँ सब डूब गया था
बाढ़ में दैवीय शिला बहकर आई, पानी का स्तर कम होने पर एक व्यक्ति को पेड़ पर बड़ा पत्थर दिखा उसने लालच में उस पत्थर को उतारा और तोड़ने के लिए जैसे ही नुकीली वस्तु मारी तो पत्थर से खून बहने लगा घबराकर वह वहां से भागा और सभी को बताया.
ये भी पढ़िए : क्या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो जानिये इसकी पूजा और उपाय
सभी ने उस पत्थर को देखा तो चौंक गए शाम होने के कारण सभी अपने-अपने घर चले गए और फिर रात में एक व्यक्ति के स्वप्न में शनि देव आए और कहा, मैं शनि देव हूं, जो पत्थर तुम्हें मिला है उसे अपने गाँव लाकर स्थापित करो सुबह यह बात सभी को बताई।
तब गाँव वालों ने उस पत्थर को एक बड़े मैदान में सूर्य की रोशनी के तले स्थापित किया तब से एक चबूतरे पर शनि देवजी का पूजन एवं तेल अभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है। यहाँ जाने वाले आस्थावान लोग केसरिया रंग के परिधान पहनकर जाते हैं

खुले रहते हैं घरों और बैंक के दरवाजे :
शिंगणापुर गांव इस स्थान की खासियत ये है कि इस छोटे-से गांव में आज भी किसी घर में ताला या कुंडी नहीं लगाई जाती। शनि शिंगणापुर यूको बैंक एक मात्र बैंक है, जिसके प्रवेश द्वार पर ताला नहीं होता।
रात में बिना ताले के दरवाजा खुला छोड़ते हैं। नियमों के तहत प्रतिदिन कारोबार मुख्य बैंक में स्थानांतरित होता है। बैंक में ताला नहीं है, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।
ये भी पढ़िए : जानिए आखिर क्यों घर में नहीं रखना चाहिए शिवलिंग
इस गांव के घरों में लोग सालों से चाेरी हाेने के डर के बिना ही रहते आए हैं इसलिए यहां के घरों में ताले नहीं लगाए जाते। साथ ही यहां की दुकानों में ताले तो दूर किसी तरह के दरवाजे या शटर भी नहीं लगवाए गए हैं और दुकानदार बेखौफ कारोबार करते हैं।
गांव के लोगों का मानना है कि जो भी चोरी करेगा उसे शनि देवता ज़रूर ही सज़ा देंगे। लगभग तीन हज़ार जनसंख्या वाले इस गाँव में किसी भी घर में दरवाज़ा नहीं है।
अब दरवाज़ा ही नहीं तो इसका मतलब कभी किसी घर में कोई कुण्डी या कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। यहाँ तक की यहाँ के लोग अपने घरों में अलमारी या सूटकेस आदि भी नहीं रखते। ये लोग ऐसा कर अपने शनि देवता की आज्ञा का पालन करते हैं।

दुकानों में भी नहीं हैं दरवाजे :
शनि देवस्थान से करीब डेढ़ किलो मीटर के दायरे में बने मकान तथा दुकानों में अब भी दरवाजे नहीं हैं। यह सैंकडो सालों की परंपरा और विश्वास का नतीजा है।
जानवरों की सुरक्षा के लिए जरूर कुछ लोगों ने शेड बनाए हैं, लेकिन उसमे ताला नहीं होता। रात के दौरान दुकानदार दुकान खुली छोड़कर अपने घर लौटते हैं।
बिना दरवाजे के घरो में ग्रामीण निश्चिंत रहते हैं। शनि शिंगणापुर पुलिस थाने का लाॅकअप भी बिना ताले के हैं।
यह भी पढ़ें : ‘बिग बॉस चाहते हैं कि’… इस आवाज के पीछे है किस शख्स का चेहरा
चोरी का कोई केस नहीं :
शनि शिंगणापुर पुलिस थाना के पीएस मंडले के मुताबिक शनि शिंगणापुर पुलिस थाने में लाॅकअप है। जिसमें शातिर बदमाश अथवा संगीन अपराधों के आरोपियों को रखा जाता है, लेकिन लाॅकअप के दरवाजे पर भी ताला नहीं होता।
सुरक्षा के लिए दरवाजे से लोहे की एक पट्टी जोड़ी गई है। जिसे एक नट बोल्ट से बंद किया जाता है। जब से पुलिस थाने का निर्माण हुआ है, तब से आजतक चोरी का कोई केस रजिस्टर नही हुआ है।

चढ़ता है करोड़ों का तेल :
1 करोड़ 34 लाख में इस साल तेल जमा करने का ठेका दिया गया शनि शिंगणापुर में शनि भगवान पर तेल चढ़ाने की परंपरा है। इसलिए दर्शन के लिए पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालु दस रुपए से लेकर तीन सौ रुपए तक तेल की बॉटल खरीदते हैं, लेकिन श्रद्धालुओं को तेल भगवान की मूर्ति पर चढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाती।
तेल चढ़ाने के लिए शनि भगवान की मूर्ति के सामने लोहे के फिल्टर रखे हैं। इस फिल्टर के माध्यम से प्रति दिन चढ़ावे का हजारों लिटर तेल टैंकर के माध्यम से एकत्रित किया जाता है।
ये भी पढ़िए : क्या आप जानते हैं शनिदेव को तिल और तेल क्यों चढ़ाया जाता है?
इस वर्ष संस्था ने तेल जमा करने का ठेका बालाजी ट्रेडर्स संस्था को एक करोड़ 34 लाख में दिया गया, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह करोड़ों का तेल चढ़ाया जाता है। इस जमा तेल से साबुन बनाया जाता है।
तेल अर्पित करते समय ध्यान रखें ये बात :
शनि देव की प्रतिमा को तेल चढ़ाने से पहले तेल में अपना चेहरा अवश्य देखें। ऐसा करने पर शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। धन संबंधी कार्यों में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

शनि पर तेल चढ़ाने से जुड़ी वैज्ञानिक मान्यता :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर के सभी अंगों में अलग-अलग ग्रहों का वास होता है। यानी अलग-अलग अंगों के कारक ग्रह अलग-अलग हैं।
शनिदेव त्वचा, दांत, कान, हड्डियां और घुटनों के कारक ग्रह हैं। यदि कुंडली में शनि अशुभ हो तो इन अंगों से संबंधित परेशानियां व्यक्ति को झेलना पड़ती हैं। इन अंगों की विशेष देखभाल के लिए हर शनिवार तेल मालिश की जानी चाहिए।
यह भी पढ़ें : बड़े काम का है प्लेटफॉर्म टिकट, इमरजेंसी में कर सकते हैं रेल यात्रा
शनि शिंगणापुर गांव पहुंचे कैसे? :
सड़क यात्रा द्वारा : महाराष्ट्र के कई प्रमुख शहरों, पुणे, मुम्बई, नासिक आदि से यहाँ तक के लिए कई बसों की सुविधा उपलब्ध हैं।
रेल यात्रा द्वारा : शनि शिंगणापुर गांव के नज़दीकी रेलवे स्टेशन राहुरी, अहमदनगर, श्रीरामपुर, शिरडी रेलवे स्टेशन हैं जो देश के अन्य रेलवे लाइनों से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं। इन स्टेशनों पर पहुँच कर आप किसी टैक्सी या कैब द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं।
हवाई यात्रा द्वारा : यहाँ का नज़दीकी हवाई अड्डा औरंगाबाद हवाईअड्डा है, जो यहाँ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर है। तो अगली बार अपने महाराष्ट्र की यात्रा में इस अनोखे गाँव की यात्रा की योजना को जोड़ना न भूलें और शनि देवता की महिमा को भी यहाँ आकर परखें।