क्या आप खाना पकाने के लिए रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल करते हैं? अगर हां तो आपको सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि जिस रिफाइंड आयल को आप सेहत के लिए फायदेमंद समझकर खाने में इस्तेमाल कर रहे हैं Side Effects Of Refined Oil
असल में वह आपकी सेहत के लिए गंभीर तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। आज के समय में अधिकतर घरों में फैट फ्री और कॉलेस्ट्रॉल फ्री चाहने वालों के बीच रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है।
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अगर आप आपने सेहत की फ़िक्र करते है तो आप इससे खुद को दूर रखने की कोशिश करें और अगर नही तो इसका सेवन कम करें|
रिफाइंड ऑइल स्वास्थ्य के लिए अच्छा नही माना जाता है क्योंकि रिफाइंड ऑइल में पोषक तत्व का अभाव होता है इसके बजाय कच्ची खाढ़ी का तेल सेहतमंद रहता है क्योंकि उसमे सभी पोषक तत्व मौजूद रहते हैं |
सेहत के लिए अच्छा है कि समय समय पर तेल बदल लिया जाए ताकि तेल के पोषण के अनुसार सभी पोषक तत्व हमें मिल सकें अगर आपको स्वस्थ जीवन जीना है तो आप रिफाइंड तेल को छोड़कर आप सरसों, तिल या मूंगफली के तेल का उपयोग करें ।

आपके दिमाग में शायद ही इस बात के बारे में सोचा होगा के आखिर क्यों हम उस अच्छे और काफी पौष्टिक माने जाने वाले रिफाइंड आयल से आपने छोटे बच्चों की मालिश नहीं कर सकते और साथ ही में उसे अपने बालों मे भी नहीं लगा सकते
अगर गौर करें तो हम जिस चीज़ को बहर उपयोग नही करते उसे भला हम इतनी आसानी से खा कैसे लेते हैं?? विश्वास नहीं हो रहा, तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानें कैसे रिफाइंड ऑयल आपकी सेहत को बिगाड़ रहा है।
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क्यों चुना गया रिफाइंड ऑयल ?
रिफाइंड तेल की बात करे तो इसका चलन पिछले 30-35 से हुआ है लेकिन अगर हम आपसे पूछे के क्यों आपने रिफाइंड तेल का इस्तेमाल शुरू कर दिया तो आपके पास इसका उत्तर शायद ही होगा
या फिर आप कहेंगे के ये हार्ट के लिए अच्छा होता है, लेकिन ये बात आप भी जानते हैं के ये बात हमे टीवी पर आने वाले विज्ञापनों से ही पता चली होती है जिनकी हकीकत शायद कुछ और होती है

ये हैं मुख्य नुकसान :
भारत में सबसे ज्यादा मौतें देने वाला कोई है तो वह है रिफाइंड ऑयल। और तो और केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है रिफाइंड ऑयल!
जिस रिफाइंड तेल का प्रयोग हम कॉलेस्ट्रॉल से बचने के लिए करते हैं वह इसी के साथ ही हमारे शरीर के आंतरिक अंगों के प्राकृतिक चिकनाई को भी अन्संतुलित कर देता है जिससे जैसे हजार रोग होते हैं
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सामान्य तेल में मौजूद चिकनाई हमारे शरीर के लिए जरूरी फैटी एसिड देते है|जो हमारे लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं। रिसर्च के अनुसार खाने के लिए सरसों तेल, नारियल तेल और घी ही बेस्ट माने गये है |
- जोड़ों में दर्द
- त्वचा से संबंधित रोग,
- DNA डैमेज और RNA नष्ट
- हार्ट अटैक
- हार्ट ब्लॉकेज
- ब्रेन डैमेज
- लकवा
- शुगर (डाईबिटीज)
- ब्लड प्रेशर की समस्या
- नपुंसकता
- कैंसर
- हड्डियों का कमजोर हो जाना
- कमर दर्द,
- किडनी डैमेज
- लिवर खराब
- कोलेस्ट्रोल
- आंखों की रोशनी कम होना
- प्रदर रोग
- बांझपन
- पाईलस

रिफाइंड ऑयल की सच्चाई :
खाद्य तेलों को रिफाइंड करने के लिए कई तरह के केमिकल का प्रयोग किया जाता है। जहां किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 प्रकार के केमिकल प्रयोग किए जाते हैं, वहीं डबल रिफाइंड तेलों में इनकी संख्या 12-13 तक हो जाती है।
इन केमिकल्स में से एक भी केमिकल ऑर्गेनिक नहीं होता, बल्कि अन्य केमिकल्स के साथ मिलकर जहरीले तत्वों का निर्माण करने लगते हैं।
इन पर किए गए रिसर्च में यह बात सामने आई है कि रिफाइंड तेलों के बजाए पारंपरिक खाद्य तेल का प्रयोग अपेक्षाकृत अधिक सेहतमंद होता है।
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शोध से पता चलता है कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक होता है, लेकिन अगर तेल में से चिपचिपापन निकाल दिया जाये तो ये तेल नहीं रहता।
इसके अलावा दालों में प्रोटीन सबसे ज्यादा होता है और दालों के बाद सबसे ज्यादा प्रोटीन तेलों में पाया जाता है। तेलों में प्रोटीन के साथ-साथ फैटी एसिड भी होता है।
लेकिन इसको रिफाइन करने के बाद तेलों में दोनों ही नहीं बचते है और उसके बाद तेल एक तरह का केमिकल लेस पानी है, जिसमें आप खाना तो पका सकते है लेकिन इसके आपको कोई भी स्वास्थ्य लाभ नहीं मिलेंगे और साथ ही कई तरह की बीमारियों की वजह बनता है।

ऐसे तैयार होता है रिफाइंड ऑयल :
हम आप को ये भी बता देना चाहते है की रिफाइंड ऑयल बनता कैसे हैंऔर बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है।
वैसे तो इस विधि में जो भी अशुद्धियां तेल में आती है, और उन्हें साफ करने के लिए उस तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है।
इसको वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, सोढा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, और साथ की साथ ताकि अशुद्धियाँ बाहर हो जाएं।
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इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाडा वेस्ट निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है।
200 डिग्री से 225 डिग्री पर जब तेल को आधे घंटे के वक्त तक गर्म किया जाता है तो उसमें से HNI नामक बहुत ही टोक्सिक पदार्थ बनता है। जो की लिनोलिक नामे के एसिड के ऑक्सीजनएशन से बनता है और साथ ही ये उत्तकों में प्रोटीन और अन्य आवश्यक तत्वों को भी क्षति पहुँचाने का कम करता है और फिर इसका उपयोग करने के बाद आप लीवर, स्ट्रोक, पार्किसन, एल्जाइमर जैसे रोगों के शिकार होते हैं ।

खाने के लिए फायदेमंद हैं ये तेल :
अच्छी सेहत के लिए अच्छा खाना बेहद ज़रूरी है, लेकिन खाना अच्छा और सेहतभरा तभी होगा, जब वो सही तरी़के से पकाया गया होगा. और खाना पकाने में जो चीज़ सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, वो है कुकिंग ऑयल.
अगर खाना सही और हेल्दी ऑयल में बना हो, तो उसके गुण और फ़ायदे और बढ़ जाते हैं, वरना अनहेल्दी ऑयल में पका हेल्दी फूड भी सेहत को नुक़सान ही पहुंचाता है.
आइए जानते हैं कि कौन-से कुकिंग ऑयल के क्या फ़ायदे हैं
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ऑलिव ऑयल :
इसके हार्ट फ्रेंडली तत्वों के कारण यह दुनियाभर में काफ़ी पॉप्युलर हो गया है. यह न स़िर्फ आपके डायट में पोषण का इज़ाफ़ा करता है, बल्कि कार्डियोवैस्कुलर डिसीज़ और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के पनपने के ख़तरे को भी कम करता है.
यह मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है. इसमें फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और कैंसर के ख़तरे को भी कम करने में मददगार होते हैं.
यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. अन्य तेलों के मुक़ाबले इसकी स्टोरेज लाइफ़ अधिक होती है. इसे फ्रीज़ भी किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि इसके पोषक तत्व बरक़रार रहेंगे.

सोयाबीन ऑयल :
सोयाबीन वेजीटेबल ऑयल है, जो सोयाबीन से प्राप्त होता है. यह ओमेगा3 से भरपूर होता है. विटामिन ई का बहुत अच्छा स्रोत है. पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स की काफ़ी मात्रा भी पाई जाती है.
सनफ्लावर ऑयल :
इसके लाइट टेस्ट की वजह से बहुत-से शेफ इसे ही यूज़ करते हैं. इसे डीप फ्राई के लिए भी यूज़ किया जा सकता है. ज्यादातर लोग स्वास्थ्य के फ़ायदे को ध्यान में रखकर इसका इस्तेमाल करते हैं. सनफ्लावर ऑयल विटामिन ई से भरपूर होता है. यह कैंसर, इंफेक्शन्स और कई बीमारियों से बचाव करता है.
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कनोला ऑयल :
इन दिनों यह न्यूट्रिशनिस्ट का फेवरेट बना हुआ है और फिज़िशियन्स भी इसे रिकमेंड करते हैं, क्योंकि इसमें हृदय रोग के ख़तरों को कम करने के गुण हैं. इसमें सैचुरेटेड फैट्स बहुत ही कम होता है. मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स से भरपूर है. ओमेगा3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद है. अन्य तेलों के मुक़ाबले इसमें फैटी एसिड का कंपोज़िशन सबसे अच्छा और हेल्दी है.
नारियल का तेल :
रिसर्च बताते हैं कि कोकोनट ऑयल से पाचन तंत्र और रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होती है. यह स्किन के लिए भी काफ़ी फ़ायदेमंद होता है. इसके एंटीएजिंग प्रभाव को भी सभी जानते हैं. इस तेल के प्रयोग करने से पेट सम्बन्धी कोई भी रोग नही होते हैं

सरसों का तेल :
इसके एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह गले की तकलीफ़, दमा, ब्रॉन्काइटिस और निमोनिया जैसे रोगों से बचाव का काम करता है. इसके स्ट्रॉन्ग फ्लेवर के कारण यह पाचक रसों के निर्माण को तेज़ करके पाचन शक्ति को बढ़ाकर भूख बढ़ाता है.
जैतून का तेल :
जैतून का तेल हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी धमनी रोग, कैंसर और रुमेटीइड गठिया का खतरा कम करता है। यही कारण है डॉक्टर्स भी जैतून का तेल यूज करने की सलाह देते हैं।
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1 दिन में जैतून तेल का एक कप शरीर में 17 प्रतिशत फाइबर की पूर्ति करता है। इस तेल में मोनोसैचुरेटेड फैट्स भी होता है, जो शरीर में विटामिन ए, डी, ई, और के की पूर्ति करता है।
इस तेल में फाइटोन्यूट्रिएटंस ओलेकैंथेल और ओलेइक एसिड भी होता है, जो आंखों व बालों के लिए फायदेमंद है।

कुकिंग ऑयल को स्टोर कैसे करें?:
इस्तेमाल में लाने के बाद अगर तेल बच जाता है, तो उसे उस तेल में मिक्स न करें, जो यूज़ नहीं हुआ है. उसे कपड़े से छान लें और अलग साफ़ जार में डालकर टाइट सील कर दें और धूप से दूर ठंडी जगह में या फ्रिज में रख दें.