भारतीय ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में से एक ग्रह, शनि की साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है। ज्योतिष एवं खगोलशास्त्र के नियमानुसार सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते रहते हैं। इस प्रकार जब शनि ग्रह लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुजरते हुए अपना समय चक्र पूरा करता है। Signs of Shani Sade Sati
शनि की मंथर गति से चलने के कारण ये ग्रह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष यात्रा करता है, इस प्रकार एक वर्तमान के पहले एक पिछले तथा एक अगले ग्रह पर प्रभाव डालते हुए ये तीन गुणा, अर्थात साढ़े सात वर्ष की अवधि का काल साढ़े सात वर्ष का होता है। भारतीय ज्योतिष में इसे ही साढ़े साती के नाम से जाना जाता है।
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क्या है शनि की ढैया?
राशियों पर भ्रमण के दौरान जब शनि किसी राशि से चतुर्थ भाव या अष्टम भाव में आता है तो इसको शनि की ढैया कहा जाता है यह शनि के एक राशि पर भ्रमण के दौरान ही रहता है यानि कि ढाई साल तक. इसीलिए इसको ढैया कहा जाता है
शनि साढ़ेसाती तीन हिस्सों में होती है. हर एक हिस्सा लगभग 2 वर्ष 6 माह का होता है। अगर तथ्यों पर ध्यान दे, तो शनि का मकसद व्यक्ति को जीवन भर के लिए सीख देने का होता है. इसलिए पहले 2 वर्ष 6 माह (यानि साढ़े सात साल) के हिस्से में शनि व्यक्ति को मानसिक रूप से परेशान करता है.
दूसरे हिस्से में आर्थिक, शारीरिक, विश्वास इत्यादि रूप से क्षति पहुंचाता है, और तीसरे और आखिरी हिस्से में शनि महाराज, अपने कारण जो जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करवाते है। यह वो समय होता है, जब व्यक्ति को सत्य का ज्ञान होता है.

साढ़े साती क्या है :
- शनि की साढ़े साती, भारतीय ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में से एक ग्रह है। शनि की साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है।
- ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते रहते हैं। इस प्रकार जब शनि ग्रह लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुज़रते हुए अपना समय चक्र पूरा करता है।
- शनि की मंथर गति से चलने के कारण ये ग्रह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष यात्रा करता है, इस प्रकार एक वर्तमान के पहले एक पिछले तथा एक अगले ग्रह पर प्रभाव डालते हुए ये तीन गुणा, अर्थात साढ़े सात वर्ष की अवधि का काल साढ़े सात वर्ष का होता है। भारतीय ज्योतिष में इसे ही साढ़े साती के नाम से जाना जाता है।
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- साढ़े साती के दौरान माना जाता है कि व्यक्ति को निराशा, असंतोष और विपरीत परिणामों का सामना करना पड़ता है। साढ़े साती के आरम्भ होने के बारे में कई मान्यताएं हैं। माना जाता है कि जिस दिन शनि किसी विशेष राशि में होता है उस दिन से शनि की साढ़े साती शुरू हो जाती है।
- एक अन्य मान्यता यह भी है कि शनि जन्म राशि के बाद जिस भी राशि में प्रवेश करता है, साढ़े साती की दशा आरम्भ हो जाती है और जब शनि जन्म से दूसरे स्थान को पार कर जाता है तब इसकी दशा से मुक्ति मिल जाती है।
- कुछ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अलग – अलग राशियों के व्यक्तियों में इसका प्रभाव भी अलग – अलग होता है। कुछ व्यक्तियों को साढ़े साती आरम्भ होने के कुछ समय पूर्व ही इसके संकेत मिल जाते हैं और अवधि समाप्त होने से पूर्व ही उसके प्रभावों से मुक्त हो जाते हैं।

कुछ लोगों के लिए साढ़े साती होता है शुभ :
- ज़्यादातर लोग शनि की ढईया और साढ़े साती को अशुभ मानते हैं, लेकिन ज्योतिषों के अनुसार शनि सभी व्यक्ति के लिए कष्टकारी नहीं होते हैं।
- शनि की दशा में बहुत से लोगों को अपेक्षा से बढ़कर लाभ, सम्मान व वैभव की प्राप्ति होती है। यदि इस दशा के समय अगर चन्द्रमा उच्च राशि में होता है तो पीड़ित व्यक्ति में अधिक सहन शक्ति आ जाती है और कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि अगर लग्न,वृष,मिथुन,कन्या,तुला,मकर अथवा कुम्भ है तो शनि हानि नहीं पहुंचाते हैं। उन्हें लाभ व सहयोग मिलता है। शनि यदि लग्न कुण्डली व चन्द्र कुण्डली दोनों में शुभ कारक है तो किसी भी तरह शनि कष्टकारी नहीं होता है, बल्कि फलदायी होता है।
- साढ़ेसाती में व्यक्ति को अच्छे और बुरे की पहचान हो जाती है.
- रुके हुए या बंद कैरियर में सफलता मिलती है.
- व्यक्ति को आकस्मिक रूप से धन और उच्च पद मिल जाता है.
- व्यक्ति को विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के योग बन जाते हैं.
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शनि साढ़ेसाती के लक्षण :
जिस प्रकार हर पीला दिखने वाला धातु सोना नहीं होता उस प्रकार जीवन में आने वाले सभी कष्ट का कारण शनि नहीं होता। आपके जीवन में सफलता और खुशियों में बाधा आ रही है तो इसका कारण अन्य ग्रहों का कमज़ोर या नीच स्थिति में होना भी हो सकता है।
आप अकारण ही शनिदेव को दोष न दें फिर शनि के प्रभाव में कमी लाने हेतु आवश्यक उपाय करें। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या आने के कुछ लक्षण हैं जिनसे आप खुद जान सकते हैं कि आपके लिए शनि शुभ हैं या प्रतिकूल।

- घर, दीवार का कोई भाग अचानक गिर जाता है। घर के निर्माण या मरम्मत में व्यक्ति को काफी धन खर्च करना पड़ता है।
- घ्रर के अधिकांश सदस्य बीमार रहते हैं, घर में अचानक अग लग जाती है, आपको बार-बार अपमानित होना पड़ता है। घर की महिलाएं अक्सर बीमार रहती हैं, एक परेशानी से आप जैसे ही निकलते हैं दूसरी परेशानी सिर उठाए खड़ी रहती है।
- व्यापार एवं व्यवसाय में असफलता और नुकसान होता है।
- घर में मांसाहार एवं मादक पदार्थों के प्रति लोगों का रूझान काफी बढ़ जाता है।
- घर में आये दिन कलह होने लगता है। अकारण ही आपके ऊपर कलंक या इल्ज़ाम लगता है।
- आंख व कान में तकलीफ महसूस होती है एवं आपके घर से चप्पल जूते गायब होने लगते हैं, या जल्दी-जल्दी टूटने लगते हैं। इसके अलावा अकारण ही लंबी दूरी की यात्राएं करनी पड़ती है।
- नौकरी एवं व्यवसाय में परेशानी आने लगती है। मेहनत करने पर भी व्यक्ति को पदोन्नति नहीं मिल पाती है। अधिकारियों से संबंध बिगड़ने लगते हैं और नौकरी छूट जाती है। व्यक्ति को अनचाही जगह पर तबादला मिलता है। व्यक्ति को अपने पद से नीचे के पद पर जाकर काम करना पड़ता है।
- आजीविका में परेशानी आने के कारण व्यक्ति मानसिक तौर पर उलझन में रहता है। इसका स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
- व्यक्ति को जमीन एवं मकान से जुड़े विवादों का सामना करना पड़ता है।
- सगे-संबंधियों एवं रिश्तेदारों में किसी पैतृक संपत्ति को लेकर आपसी मनमुटाव और मतभेद बढ़ जाता है। शनि महाराज भाइयों के बीच दूरियां भी बढ़ा देते हैं।
- शनि का प्रकोप जब किसी व्यक्ति पर होने वाला होता है तो कई प्रकार के संकेत शनि देते हैं। इनमें एक संकेत है व्यक्ति का अचानक झूठ बोलना बढ़ जाना।
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अशुभ साढ़ेसाती हो तो करें ये उपाय :
- शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे तांबे के दीपक में तिल या सरसों का तेल भरकर जलाएं.
- अपना आचरण और व्यवहार अच्छा बनाये रखें.
- नित्य सायं शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें.
- अनुराधा नक्षत्र में अमावस्या हो और शनिवार का योग हो, उस दिन तेल, तिल सहित विधि पूर्वक पीपल वृक्ष की पूजा करने से मुक्ति मिलती है
- प्रत्येक शनिवार को उड़द की दाल को भोजन में शामिल कीजिए और एक समय उपवास करिये।
- शनि का शुभ परिणाम पाने के लिए अपने माता-पिता को हमेशा सम्मान दें।
- एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरें और दान कर दें।
- शनि के मंत्र ॐ शं शनिश्चरायै नमः का जाप 3 माला रोज शाम को करें।
- शनिवार की शाम को सरसों के तेल का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं और पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगातार 40 शनिवार करें।
- साढ़े साती के दौरान ग्रह शनि को खुश करने के लिए प्रत्येक शनिवार को भगवान शनि की पूजा करना सबसे अच्छा उपाय है।
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़नी चाहिए।
- अगर कष्ट ज्यादा हो तो शनिवार को छाया दान भी करें.
- भोजन में सरसों के तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करें.
- शनि से संबंधित वस्तुएं, जैसे लोहे से बने बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते, काला सुरमा, काले तिल, उड़द की साबूत दाल, आदि शनिवार के दिन दान करने से एवं काले वस्त्र एवं काली वस्तुओं का उपयोग करने से शनि की प्रसन्नता प्राप्त होती है।

शनि की साढ़े साती से बचने के उपाय :
- कोई भी जोखिम भरा काम नहीं करना चाहिए।
- साढ़े साती के दौरान किसी से भी बहस करने से बचना चाहिए।
- ड्राइविंग करते समय सतर्क रहना चाहिए।
- रात में अकेले यात्रा करने से बचना चाहिए।
- शनिवार और मंगलवार को शराब के सेवन से बचें।
- हमें शनिवार और मंगलवार को काले रंग का सामान नहीं खरीदना चाहिए।
- साढ़े साती में कभी भूलकर भी “नीलम” रत्न नहीं धारण करना चाहिये वरना बजाय लाभ के हानि होने की पूरी सम्भावना होती है।
- कोई नया काम, नया उद्योग, भूल कर भी साढे़साती में नही करना चाहिये
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2020 में इन राशियों पर है शनि ग्रह की चाल :
इस साल शनि ग्रह 24 जनवरी को धनु राशि से अपनी स्वराशि मकर में गोचर करेगा। इसके साथ ही इसी वर्ष 11 मई से 29 सितंबर तक यह मकर राशि में ही वक्री होगा और 27 दिसंबर को अस्त। धनु और मकर राशि में पहले ही शनि साढ़े साती का प्रभाव चल रहा था। अब कुंभ राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण भी शुरू हो जाएगा। आइए जानते हैं साल 2020 में कौन सी राशियां शनि के घेरे में आएंगी।
- धनु राशि : इस वर्ष धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव रहेगा। शनि की साढ़े साती आपके अंतिम चरण में है।
- मकर राशि : शनि का गोचर आपकी राशि में ही हो रहा है। इसलिए इस साल आप शनि की साढ़े साती के दूसरे चरण में रहेंगे।
- कुंभ राशि : इस वर्ष आपकी साढ़े साती का प्रथम चरण शुरु हो रहा है जो अगले पाँच वर्षों तक आपकी कुंडली में रहने वाला है।