कैंसर दुनियाभर में सबसे बड़ी बीमारी के रूप में उभर रहा है। मिलावटी खानपान और गलत आदतों के कारण पेट के हिस्से में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक कैंसर है, पैंक्रियाटिक कैंसर यानी अग्नाशय का कैंसर। Symptoms of Pancreatic Cancer
पैंक्रिएटिक कैंसर अग्नाश्य का कैंसर होता है। प्रत्येक वर्ष अमेरिका में अनेक लोगों की इस रोग के कारण मृत्यु होती है। इस कैंसर को शांत मृत्यु (साइलेंट किलर) भी कहा जाता है, क्योंकि आरंभ में इस कैंसर को लक्षणों के आधार पर पहचाना जाना मुश्किल होता है और बाद के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं।
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पैंक्रियाज यानी अग्नाशय हमारे पेट का हिस्सा होता है। इसे पाचक ग्रंथि भी कहते हैं क्योंकि खाने के पचाने के लिए ये एक जरूरी ग्रंथि है। ऐसा देखा गया है लोगों की कुछ गलतियों के कारण उनमें पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। आइए आपको बताते हैं कौन सी आदतें पैंक्रियाज के कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं।
पैनक्रियाज को हिंदी में अग्नाश्य कहते हैं, ये पाचन तंत्र का मुख्य अंग होता है और छोटी आंत (small intestine) का पहला भाग होता है। अग्नाशय 6 से 10 इंच लंबी ग्रंथि होती है जो कि आमाशय के पीछे पेट में पाई जाती है। अग्नाशय खाना पचाने में मदद करने वाले हार्मोन और एंजाइम को छोड़ता है।

इस बीमारी के शिकार आम लोग ही नहीं देश के बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और राजनेता भी हो रहे हैं।बॉलीवुड डायरेक्टर राकेश रोशन, सोनाली बेंद्रे, इरफान खान, गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर भी इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं।
ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये पैनक्रियाटिक कैंसर क्या है, कैसे इसकी पहचान की जा सकती है और इससे बचने के लिए आपको किन चीजों का ख्याल रखना जरूरी है.
क्या है यह बीमारी :
पैनक्रियाटिक कैंसर शरीर के अग्नाशय में होता है. यह मानव शरीर का सबसे प्रमुख अंग होता है. अग्नाशय में कैंसर युक्त कोशिकाओं के जन्म के कारण पैनक्रियाटिक कैंसर की शुरुआत होती है.
इस बीमारी के शिकार ज्यादातर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग होते हैं. महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा पैनक्रियाटिक कैंसर होता है. यह कैंसर हमारे शरीर में पेट और आंत के बीच होता है.
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हालांकि यह कैंसर दूसरे कैंसर की तुलना में कम होता है, लेकिन अगर इसकी शुरुआती स्टेज के बारे में पता न चल पाए तो यह जानलेवा हो जाता है.
पैनक्रियाटिक कैंसर के लक्षण :
- पैनक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित व्यक्ति के पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहता है.
- उसकी त्वचा, आंख और यूरिन का रंग पीला होता है.
- उसे उल्टियां, जी मिचलाना जैसी शिकायतें रहती हैं.
- इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को भूख कम लगती है.
- पैनक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित व्यक्ति का लगातार वजन कम होता रहता है.
- ऐसे व्यक्ति को हर समय कमजोरी महसूस होती रहती हैं.
- पेट में तेज दर्द होना
- पेट पर सूजन आना
- पीला या भूरा मल आना
- मल में अतिरिक्त वसा होना

पेनक्रियाज कैंसर की स्टेज :
- स्टेज 0: इस स्टेज पर कैंसर पेनक्रियाज कोशिकाओं की ऊपरी परतों पर होता है। ये इमेज टेस्ट में दिखाई नहीं देता है।
- स्टेज I: इस स्टेज तक कैंसर पेनक्रियाज कोशिकाओं से 2 सेंटीमीटर आगे बढ़ जाता है और इसे स्टेज IA कहते हैं। जब यह 4 सेंटीमीटर फैलता है तो इस स्टेज को IB कहा जाता है।
- स्टेज II: यहां आने तक कैंसर, पेनक्रियाज से बाहर की तरफ फैलने लग जाता है।
- स्टेज III: इस स्टेज तक पहुंचने के बाद कैंसर तेजी से फैलना शुरु कर देता है। ट्यूमर ब्लड वेसल्स और नर्व्स तक फैल चुका होता है।
- स्टेज IV: इस स्टेज पर कैंसर अंगों में अंदर तक भी फैल चुका होता है।
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पैनक्रियाटिक कैंसर के कारण :
- पैनक्रियाज कैंसर रेड मीट और चर्बी वाले आहार का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से भी होता है.
- शरीर में मोटापा ज्यादा होने से भी व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो जाता है.
- अगर व्यक्ति को ज्यादा समय तक अग्नाशय में दर्द महसूस हो रहा हो तो भी इस बीमारी के होने की आशंका बनी रहती है. ऐसे में डॉक्टर से तुरंत अपनी जांच करवाएं.
- धूम्रपान करने से भी व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ सकता है.
- इस गंभीर बीमारी के होने के पीछे कई बार कई अनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं.

इस बीमारी से बचाव :
- इस बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को ताजे फलों का रस और हरी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए. ऐसा करने से अग्नाशय कैंसर से लड़ने में लाभ मिलता है.
- इस बीमारी से बचे रहना चाहते हैं तो अपने आहार में कम से कम मात्रा में रेड मीट और वसा वाले आहार को शामिल करें.
- पैंक्रिएटिक कैंसर के उपचार में ब्रोकर्ली को एक अच्छा विकल्प माना जाता है. ब्रोकली में मौजूद फाइटोकेमिकल्स से, कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने में मदद मिलती है. ब्रोकली एंटी ऑक्सीडेंट होने के साथ खून को साफ रखने में भी मदद करती है.
- ग्रीन टी, लहसुन, सोयाबीन और एलोवेरा का भी सेवन करने से इस बीमारी में काफी फायदा होता है.
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कैसे करें पैंक्रियाटिक कैंसर की जांच :
पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर रोग की जांच के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई करवा सकते हैं, जिससे पेट में दर्द और अन्य समस्याओं का कारण पता लगाया जा सके। इसके अलावा कैंसर की आशंका होने पर चिकित्सक एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड, बायोप्सी या टिशू सैंपल आदि टेस्ट भी कर सकते हैं। ब्लड टेस्ट के द्वारा भी खून में CA 19-9 की मौजूदगी से शरीर में ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है।
बावजूद इन उपचारों के अगर किसी को इस बीमारी के होने की जानकारी मिले तो उसे तुरंत अपने कैंसर विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.
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