कोरोना महामारी (Coronavirus) में किसानों के लिए आफत बनकर टिड्डी दल आए हैं। देश में फसलों के लिए आतंक बने टिड्डी (Locust) दलों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थान से बढ़कर यह अब अन्य राज्यों में भी पहुंच गए हैं। टिड्डी दलों पर काबू पाने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारों ने मिलकर ताकत झोंकी है, लेकिन इसके बाद भी स्थिति काबू में नहीं दिख रही है। Tiddi Dal Attack in India
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फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन (एफएओ) ने टिड्डी दलों के बिहार, झारखंड और ओडिशा तक पहुंच जाने की आशंका जताई है। टिड्डियों (Locust Attack) का दल इस समय पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सक्रिय है।
खेतों में फसल न होने की वजह से इस समय किसानों के लिए यह राहत वाली खबर है। अभी देश में टिड्डियों (Locusts) के दल से कम नुकसान हो रहा है। लेकिन अब टिड्डियों (Locusts) को रोकने की बहुत ही जरूरत है क्योंकि जून व जुलाई के दौरान मानसून के आने से उनका प्रजनन बढ़ जाएगा, जो खरीफ की फसलों के लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है।
जानें आखिर कैसा होता है जीवन चक्र :
एक टिड्डी (Locust)अपने तीन महीने के जीवन चक्र में तीन बार प्रजनन करती है। एक रिपोर्ट के अनुसार टिड्डियां उड़ने वाले वयस्कों में परिपक्व होने से पहले कई चरणों से गुजरती है। इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी बिन्दु पर यदि अनुकूल परिस्थितियां हों तो वे झुंड में बदल सकती हैं।

जीवन का चक्र :
टिड्डियों में अलग-अलग तरह के समूह होते हैं। एकांतवासी और झुंड में रहने वाली टिड्डियां। रेगिस्तारी टिड्डी अंडा 10-65 दिन में देती है। यह 24 से 95 दिन तक टिड्डियां उड़ान भरने वाली नहीं होती है। यह उड़ान भरने में वयस्क ढाई से 5 महीने के बीच में होती है। वैसे, दुनियाभर में टिड्डियों की 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में केवल रेगिस्तानी टिड्डा, प्रवाजक टिड्डा, बंबई टिड्डा और पेड़ वाला टिड्डा ही पाया जाता हैं। देश में पाया जाने वाला रेगिस्तानी टिड्डों को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। है।
एक दिन में कई मीलों का सफर :
टिड्डियां (Locusts) जब झुंड में चलती है, तो एक दिन में मीलों का सफर तय करती है। झुंड में यह एक दिन में 81 मील या इससे अधिक की दूरी तय कर सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार 1954 में एक झुंड ने उत्तर पश्चिम अफ्रीका से ब्रिटेन तक के लिए उड़ान भरी थी। इसके अलावा 1988 में पश्चिमी अफ्रीका से कैरेबियन तक का सफर तय करने में ज्यादा दिन नहीं लगे। महज 10 दिनों में ही 3100 मील तक का सफर तय कर लिया।
ऐसे पनपती हैं टिड्डियां :
टिड्डियों के भारी संख्या में पनपने का मुख्य कारण वैश्विक तापवृद्धि के चलते मौसम में आ रहा बदलाव है। विशेषज्ञों ने बताया कि एक मादा टिड्डी तीन बार तक अंडे दे सकती है और एक बार में 95-158 अंडे तक दे सकती हैं। टिड्डियों के एक वर्ग मीटर में एक हजार अंडे हो सकते हैं। इनका जीवनकाल तीन से पांच महीनों का होता है। नर टिड्डे का आकार 60-75 एमएम और मादा का 70-90 एमएम तक हो सकता है।
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टिड्डियों को भगाने के उपाय :
फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली टिड्डियां जब झुंड में चलती है, तो एकदम अंधेरा छा जाता है। टिड्डियों को भगाने के परंपरागत उपायों थाली बजाना, खेतों में धुंआ करना, पानी आदि शामिल है। टिड्डियों का दल आवाज के कपन को महसूस करता है। इस कारण आजकल इन्हें भगाने के लिए अब डीजे (DJ) का भी उपयोग किया जा रहा है।
यह आवाज को दूर से भांपकर ही अपना रास्ता बदल लेते हैं। अगर यह खेतों में होते हैं, तो यह खेतों से उड़कर कहीं दूर चले जाते हैं। इसके अलावा टिड्डियों के दलों को भागने के लिए कई तरह के कीटनाशकों का भी उपयोग किया जाता है।
फसल से बचाने के लिए हेस्टाबीटामिल, क्लोरफाइलीफास और बेंजीएक्सटाक्लोराइड का भी खेतों में छिड़काव करके इन्हें भगाया जा सकता है। इनको भगाने के लिए ड्रोन से रसायन का छिड़काव किया जाता है। वहीं सरकारी स्तर पर भी इनके झुंड को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
वैसे, बहुत ही बड़े पैमाने पर इनका उपाय कर पाना बहुत ही मुश्किल काम है। ऐसा कहा जाता है कि टिड्डियों का दल खाली पड़े खेतों में ही अंडे देता है, जिन्हें नष्ट करने के लिए खेतों में गहरी खुदाई की जानी चाहिए और फिर खेत में ही पानी भर देना चाहिए।

आखिर क्यों आगे बढ़ती जा रही हैं टिड्डियां :
टिड्डियों (Locusts) का दल पाकिस्तान के रास्ते बॉर्डर के राज्य राजस्थान और पंजाब में सबसे पहले आया था। यहां पर आने के बाद अब धीरे-धीरे महाराष्ट्र तक बढ़ गया है। आसपास के राज्यों में इसका आतंक बहुत ही बढ़ गया है। टिड्डियों के लगातार आगे बढ़ने की सबसे वजह खाली खेत माने जा रहे हैं।
कृषि विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि टिड्डी दलों ने जब भारत के सीमावर्ती राज्यों में प्रवेश किया है, उस समय रबी सीजन की पूरी फसल की कटाई हो चुकी है। अब यहां पर फसल और अन्य चीजों के न होने की वजह से नुकसान नहीं हो रहा हे। इसकी वजह अब इनका दल तेजी से आगे की तरफ लगातार बढ़ रहा है।
अब यह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के जिलों तक के कई जिलों में आक्रमण कर चुके हैं। लोकस्ट वार्निग ऑर्गनाइजेशन (एलडब्ल्यूओ) के अधिकारियों का कहना है कि उत्तरी राज्यों में सक्रिय टिड्डी दलों का अभी पूरी तरह से सफाया नहीं किया जा सका है। हमें उम्मीद है कि जल्दी ही यहां पर टिड्डियों के दलों का सफाया कर लिया जाएगा।
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