लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन ने कई पुराने सीरियल्स को दूरदर्शन पर वापस से शुरू करने का फ़ैसला किया, उनमें से रामायण और महाभारत ख़ूब पसंद किया जा रहा है। Voice Behind Main Samay Hoon Of Mahabharata
टीवी पर ये शो ख़ूब पसंद किया गया था, इस शो में कई बड़े सितारों ने काम किया था, लेकिन इस सीरियल में एक ऐसे पात्र भी थे जिनका कभी चेहरा नहीं दिखा लेकिन उनकी आवाज़ ही गयी उनकी पहचान।
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महाभारत का कथा टाइटल ‘मैं हूं समय’आजकल लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इस टाइटल के पीछे भी अपनी ही अलग कहानी है। ‘मैं समय हूं’ से अपनी बात शुरू करने वाला महाभारत के सूत्रधार हर कड़ी की शुरुआत में आते थे और कहानी को आगे बढ़ाते थे। इस आवाज के पीछे जो चेहरा था उनका नाम है हरीश भिमानी।
कौन है हरीश भिमानी :
15 फरवरी 1956 में मुंबई में पैदा हुए हरीश भिमानी पेशे से वॉइस ओवर आर्टिस्ट हैं। 5 भाई-बहनों में से चौथे नंबर के हैं। हरीश फिलहाल पत्नी रेखा के साथ मुंबई में ही रहते हैं। उनकी पत्नी भी वॉइस आर्टिस्ट हैं।
हरीश ने अपने करियर में 22 हजार से भी ज्यादा रिकॉर्डिंग्स की हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि उन्हें महाभारत के सूत्रधार ‘समय’ के रूप में मिली। अपने करियर में उन्होंने तमाम टीवी सीरियल्स, फ़िल्म्स, स्टेज शो, रेडियो, स्पोर्ट्स, एंकरिंग समेत कई जगह अपनी अवाज का जादू बिखेरा।

ये है रोचक तथ्य :
महाभारत के बारे में बात करते हुए हरीश ने एक इंटरव्यू में बताया- ‘एक शाम मुझे गूफी पेंटल (शो के कास्टिंग डायरेक्टर) का कॉल आया और मुझे कहा गया कि बीआर के मेन स्टूडियो में आ जाना कुछ रिकॉर्ड करना है। मैंने उनसे इस बारे में जानना चाहा लेकिन उन्होंने आने को कहकर फ़ोन काट दिया।’
हरीश ने आगे कहा- ‘जब मैं वहां गया तो मुझे एक कागज दिया गया और उसे पढ़ने को कहा गया, मैंने पढ़ तो लिया लेकिन वहाँ के लोग संतुष्ट नहीं हुए, मुझसे कहा गया कि ये तो डॉक्युमेंट्री जैसा लग रहा, मैंने कहा तो और क्या है। इसके बाद उन्होंने मुझे समझाया। मैंने फिर से सुनाया, लेकिन उन्हें शायद पसंद नहीं आया और मुझे जाने को कह दिया गया।
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इसके बाद दो-तीन दिन बाद फिर बुलाया गया। मैं फिर से गया और फिर मैंने 7-8 टेस्ट दिए, लेकिन इस बार भी उन्हें कुछ ख़ास नहीं लगा। फिर मैंने सुझाव दिया कि आप लोग आवाज़ बदलने को कह रहे हैं जिससे इसकी गम्भीरता ख़त्म हो रही है, आप मुझे अपने हिसांब से करने दीजिए।’
हरीश ने कहा इसके बाद मैंने दोबारा कहा- ‘मैं समय हूँ, इस बार उन्हें पसंद आया और आगे क्या हुआ आओ सब जानते हैं।’हरीश आज भी काम कर रहे हैं, और साल 2016 में उन्हें मराठी डॉक्यू-फीचर ‘माला लाज वाटत नाही’ जिसका हिंदी में अर्थ है ‘मुझे शर्म नहीं आती’ में वॉइस ओवर के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।

कैसे आई ये आवाज़ :
इस आवाज के आने के पीछे एक रोचक वाक्या है जो महाभारत की शुरुआत में जब टाइगल गीत ‘मैं समय हूं’ ये कैसे आया इसकी कहानी जुड़ी है टीवी शो ‘हम लोग’ से। उस वक्त उस टीवी शो में दादा मुनि यानी अशोक कुमार जी नरेशन किया करते थे। बस ये बात चोपड़ा साहब को जम गई और उन्होंने इस आवाज के लिए करवा दिया ऑडिशन.
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चोपड़ा साहब ने महाभारत के नरेशन के लिए कई लोगों को चुना लेकिन सभी में कुछ न कुछ खामियां निकल पड़ी। महाभारत में नरेशन के लिए साउथ के एनटीआर को चुना गया हालांकि वह साउथ की भाषा का मिश्रण न हो जाए इसके लिए कैंसिल कर दिया गया। इसके बाद उन्हें दिलीप कुमार को इसके लिए चुना गया हालांकि महाभारत में उर्दू जुबान होगी तो अच्छा नहीं लगेगा। तब अंत में जाकर हरीश भिमानी का चयन हुआ
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