दिसम्बर 2019 में शुरू हुआ कोरोना वायरस आज 100 से ज्यादा देशों में फ़ैल चुका है और विश्व में इससे प्रभावित लोगों की संख्या 1.35 लाख को पार कर चुकी है और 5000 लोगों की मौत हो चुकी है. Thermal Scanner and Process
भारत सहित कई देशों ने विदेशी यात्रियों को वीजा जारी करना बंद कर दिया है और जो लोग विदेश में भारत लौट रहे हैं उनकी हवाई अड्डे पर थर्मल स्कैनिंग की जा रही है ताकि इस वायरस से प्रभावित लोगों की पहचान की जा सके.
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चीन के कोरोना वायरस की पहचान व रोकथाम में थर्मल स्कैनर काफी उपयोगी साबित हुआ है। यह एक ऐसा उपकरण है, जिसके माध्यम से कोरोनावायरस या फिर ऐसे ही किसी अन्य रोग से ग्रस्त व्यक्ति की पहचान की जा सकती है।
भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद, मंगलौर, और जयपुर, समेत देशभर के 20 हवाई अड्डों पर आधुनिक थर्मल स्कैनर लगाए हैं. देश भर के विभिन्न हवाई अड्डों पर लगाए गए थर्मल स्कैनर्स के जरिए अभी तक करीब 45 हजार लोगों की जांच की जा चुकी है.
लेकिन अब सवाल यह उठता है कि ये थर्मल स्कैनर क्या होता है और ये किस तरह काम करता है? आइये इस लेख के माध्यम से इन्हीं प्रश्नों के उत्तर जानते हैं.

थर्मल स्कैनर क्या होता ? :
थर्मल स्कैनर, इन्फ्रारेड थर्मोग्राफी के माध्यम से कार्य करता है. इन्फ्रारेड थर्मोग्राफी एक डिजिटल छवि प्रदान करती है जो तापमान पैटर्न को दिखाती है. यह सिस्टम 40°C से 500°C तक के तापमान को माप सकता है.
व्यक्ति के शरीर का तामपान बदलने के साथ साथ थर्मल इमेज का रंग भी बदलता जाता है. कुछ डिवाइस में रंगों के पैटर्न के अलावा बाकायदा शरीर का तापमान भी लिखा हुआ आता है. इतना ही नहीं किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होने पर यह स्कैनर बीप के माध्यम से सिग्नल भी देते हैं.
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थर्मल स्कैनर कैसे काम करता है :
थर्मल स्कैनर को मुख्य रूप से एअरपोर्ट जैसी भीड़ वाली जगहों पर लगाया जाता है. जब कोई व्यक्ति इस स्कैनर के सामने से गुजरता है तो व्यक्ति के शरीर में मौजूद विषाणु, इंफ्रारेड तस्वीरों में दिखाई पड़ते हैं.
जिन व्यक्तियों के शरीर में विषाणुओं की संख्या अधिक या खतरनाक स्तर पर पहुँच जाती है उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है. ऐसे लोगों को भीड़ से अलग करके उनकी जांच की जाती है.

किन किन बीमारियों को डिटेक्ट करता है थर्मल स्कैनर?
यह माना जाता है कि इन्फ्रारेड कैमरों का उपयोग संभवतः बुखार, सार्स के लक्षण और एवियन इन्फ्लूएंजा जैसे विषयों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है. यहाँ पर यह बात ध्यान देने वाली है कि थर्मल इमेजर त्वचा के तापमान को मापता है न कि शरीर के अंदर के तापमान को. हालांकि, इंफ्रारेड सिस्टम की सटीकता; मानव, पर्यावरण और उपकरण की क्वालिटी से भी प्रभावित हो सकती है.
इस प्रकार स्पष्ट है कि थर्मल स्कैनर की मदद से कोविड 19 से प्रभावित लोगों की पहचान करना एक सस्ता, तेज और विश्वसनीय कदम है. उम्मीद है कि जल्दी ही इस महामारी का टीका खोज लिया जायेगा.
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